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सोनम वांगचुक को TIME मैगजीन ने ‘द 100 मोस्ट इंफ्लुएंशियल क्लाइमेट लीडर्स ऑफ 2025’ की लिस्ट में जगह दी है। मैगजीन ने लिखा- वांगचुक एक इंजीनियर, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। पिछले महीने उन्हें लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के प्रदर्शन के चलते गिरफ्तार किया गया था। वो पिछले एक दशक से प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा, कृत्रिम ग्लेशियर बनाने में नई वैज्ञानिक तकनीकों को शामिल करने का काम कर रहे हैं।
सितंबर में गिरफ्तार हुए थे वांगचुक
10 सितंबर को लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची आदि मांगों को लेकर वांगचुक और उनके समर्थक भूख हड़ताल पर बैठे थे। 24 सितंबर को लेह में बंद का आह्वान भी किया गया। इसके बाद कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के लोगों ने भी इस बंद को अपना समर्थन दे दिया और ये ऐलान किया कि पूरे लद्दाख में बंद रखा जाएगा।
इसके बाद लेह में ये बंद हिंसक हो गया। हिंसा में कम से कम 60 लोग घायल हुए। देर रात एक बयान में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया। मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक ने ‘अरब स्प्रिंग’ और ‘Gen Z’ आंदोलनों का हवाला देकर भीड़ को उकसाया। फिर हिंसा के बाद वांगचुक ने बयान जारी किया और अपना 15 दिन का उपवास तोड़ते हुए युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की थी।
वो फिलहाल NSA यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून समेत अन्य धाराओं में जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।

वांगचुक का जन्म 1966 में लेह जिले के अल्ची के पास, लद्दाख में हुआ था। उनके गांव में स्कूल न होने के कारण, 9 साल की उम्र तक उनका किसी स्कूल में दाखिला नहीं हुआ। इस दौरान उनकी मां ने उन्हें बुनियादी शिक्षा दी।
9 साल की उम्र में उन्हें श्रीनगर ले जाया गया और वहां एक स्कूल में दाखिला दिलाया गया। बाद में दिल्ली के विशेष केंद्रीय स्कूल में भी उन्होंने पढ़ाई की। फिर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी NIT, श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में BTech किया।

शिक्षा में सुधार के लिए SECMOL की स्थापना की
इंजीनियरिंग के बाद वांगचुक ने साल 1988 में अपने भाई और पांच साथियों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख यानी SECMOL की शुरुआत की। इसका उद्देश्य लद्दाख के सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार लाना है। इसके लिए लद्दाख के सासपोल में मौजूद सरकारी हाई स्कूल में स्कूल सुधार के प्रयोग किए गए।
इसके बाद, SECMOL ने ‘ऑपरेशन न्यू होप’ की शुरुआत की। इसके तहत सरकारी स्कूलों में एजुकेशन रिफॉर्म और लोकलाइज्ड टेक्स्टबुक्स, टीचर्स की ट्रेनिंग और गांव-स्तरीय शिक्षा समितियों के गठन की पहल शुरू की गई। फिर इसे शिक्षा विभाग और गांव की जनता के सहयोग से आगे बढ़ाया गया।
जून 1993 से वांगचुक ने प्रिंट मैगजीन ‘लद्दाख्स मेलोंग’ की शुरुआत की। अगस्त 2005 तक लद्दाख की एकमात्र प्रिंट मैगजीन के एडिटर के रूप में काम किया। इस दौरान साल हिल काउंसिल सरकार में शिक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया।

बॉलीवुड फिल्म 3 इडियट्स के पॉपुलर कैरेक्टर फुंसुक वांगड़ू सोनम वांगचुक से प्रेरित है।
साल 2002 में कई NGO प्रमुखों के साथ मिलकर उन्होंने लद्दाख वॉलंटरी नेटवर्क (LVN) की स्थापना की। ये लद्दाखी NGO का एक नेटवर्क है। उन्होंने 2005 तक इसकी एग्जीक्यूटिव कमेटी में सेक्रेटरी के रूप में अपनी सेवाएं दी।
2004 में उन्हें लद्दाख हिल काउंसिल सरकार के विजन डॉक्यूमेंट ‘लद्दाख 2025’ की ड्राफ्टिंग कमेटी में नियुक्त किया गया। उन्हें शिक्षा और पर्यटन पर नीति तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह दस्तावेज 2005 में भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था।
आइस स्तूप प्रोजेक्ट शुरू किया
वांगचुक ने साल 2013 के अंत में आइस स्तूप प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसका उद्देश्य लद्दाख के किसानों को अप्रैल और मई के महीनों में बुवाई में पानी की कमी से बचाने का समाधान ढूंढना था। फरवरी 2014 के अंत तक, उन्होंने सफलतापूर्वक दो मंजिला आइस स्तूप का प्रोटोटाइप बना लिया। इसमें लगभग 1,50,000 लीटर पानी स्टोर किया जा सकता था।
आइस स्तूप एक आर्टिफिशियल ग्लेशियर है, जो पानी को सर्दियों में स्टोर करके गर्मियों में धीरे-धीरे पिघलाता है। ताकि खेती और बागवानी के लिए पानी उपलब्ध रहे। इस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। उन्होंने इसे लद्दाख ही नहीं बल्कि हिमालय और आल्प्स के क्षेत्रों में भी पहुंचाया।
अल्टरनेटिव यूनिवर्सिटी की शुरुआत की
वांगचुक ने साल 2016 में हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) की स्थापना की। ये एक अल्टरनेटिव यूनिवर्सिटी है, जो हिमालयी क्षेत्रों के युवाओं को शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरण जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए ट्रेनिंग देती है। इस यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम छात्रों को स्थानीय समस्याओं जैसे- ग्लेशियर पिघलना, कम बारिश के समाधान सिखाते हैं।

लद्दाख में शिक्षा सुधार की दिशा में उनके काम के लिए वांगचुक को 2018 में रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड (एशिया का नोबेल कहा जाता है) मिला।
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