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आखिर डिप्रेशन यानी अवसाद है क्या?

आशी शर्मा

 

टीनएज एक ऐसी उम्र है जिसमें बच्‍चे खुद अपनी इच्‍छाओं, जरूरतों और व्‍यवहार को ठीक तरह से समझ नहीं पाते हैं। यह उम्र जिंदगी का एक नया पड़ाव होता है, जो कई मुश्‍किलों और चुनौतियों से भरा होता है।किसी को पढ़ाई की टेंशन होती है तो किसी को दिल टूट जाने का दर्द होता है। इस उम्र में बच्‍चों पर कई तरह का स्‍ट्रेस भी रहता है जो कभी-कभी डिप्रेशन का रूप भी ले सकता है। यदि डिप्रेशन का इलाज न किया तो दुनिया में मृत्‍यु का यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है। व्‍यवहार में चिड़चिड़ापन, बहुत ज्‍यादा रोना, हमेशा दुखी रहना, कभी भी चिढ़ जाना, पहले कोई काम पसंद आना लेकिन अब उसमें रूचि कम हो जाना, भूख में बदलाव आना, वजन कम होना या बढ़ना, रात को देर तक जागना, बहुत ज्‍यादा या कम सोना, सुबह उठने में दिक्‍कत होना, आत्‍मविश्‍वास में कमी होना, पढ़ाई में फेल होना, बार-बार स्‍कूल से छुट्टी लेना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।जीवन में कभी-कभार कम महसूस होना एक सामान्य बात है. लेकिन जब ये एहसास बहुत समय तक बना रहे और आपका साथ ना छोड़े तो ये निराशा या अवसाद हो सकता है. ऐसे में जीवन बड़ा नीरस और खाली-खाली सा लगने लगता है . ऐसे में ना दोस्त अच्छे लगते हैं और ना ही किसी और काम में मन लगता है. जीवन कष्टमय लगने लगता है और सकारात्मक बातें भी नकारात्मक लगने लगती हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो घबराने की ज़रुरत नहीं है. ज़रुरत है निराशा के दुष्प्रभाव और कारणों को समझने की और फिर उसका इलाज करने की.
हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.कभी सफलता मिलने पर बहुत ख़ुशी मिलती है तो कभी असफल होने पे इंसान दुखी हो जाता है. कई बार लोग छोटे-मोटे दुःख को भी निराशा का नाम दे देते हैं, जो कि बिलकुल गलत है. निराशा साधारण परेशानी से बहुत अलग होता है. आइये इसकी परिभाषा को समझते हैं: अवसाद एक ऐसी मानसिक स्थिति या स्थायी मानसिक विकार है जिसमे व्यक्ति को उदासी, अकेलापन, निराशा, कम आत्मसम्मान, और आत्मप्रतारणा महसूस होती है ; इसके संकेत मानस – मिति संबंधी मंदता , समाज से कटना ,और ऐसी स्थितिया जिसमे की कम भूख लगना और अत्यधिक नीद आना में नज़र आते हैं.”ध्यान देने कि बात है कि आम तौर पर होने वाली दबाव या दुःख का अवसाद से कोई लेना-देना नहीं है. बहुत ज्यादा निराशा की वज़ह से व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोच सकता है. निराशा के दौरान व्यक्ति खुद को बिलकुल असहाय महसूस कर सकता है और उसे सभी समस्याओं का हल अपने जीवन का अंत करने में नज़र आने लगता है.यदि कोई आपसे आत्महत्या करने जैसी बातें करता है तो संभवतः वो उदासी से ग्रसित है , और वो सिर्फ आपको अपनी बात ही नहीं बता रहा है बल्कि वो मदद के लिए चिल्ला रहा है, और आपको उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए. और यदि आप खुद को ऐसा करते देख रहे हैं तो बिना देरी किये आपको विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए.

आशी शर्मा

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