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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024

 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 3 मई को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य हर समाचार को जनता तक पंहुचाना है। आधुनिक समय में लोगों को सारी जानकारी अपने घर पर बैठे-बैठे ही देश दुनिया की जानकारी मिल जाती है। चाहे उसका जरिया समाचार पत्र हो, टीवी हो या फिर इंटरनेट की वजह से मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन। अब चाहे आप घर में हों या फिर आप ऑफिस में हों या फिर आप कहीं घूमने गए हों या यात्रा कर रहे हों समाचार आप तक पंहुच ही जाएंगे। आप केवल अपने मोबाइल का डाटा शुरू कीजिए और मोबाइल पर इच्छानुसार समाचार एप्प पर समाचार सुनिये या देखिये। पर सवाल यह उठता है कि जो समाचार आप पढ़ रहे हैं उनको आप की मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन तक पंहुचाता कौन है, इसका जवाब है पत्रकार।

जी हां यह पत्रकार ही हैं जिसको समाचार को आप तक पंहुचाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है कई बार तो ऐसा होता है कि वह अपनी जान को जोखिम में डाल कर आप तक सूचानाएं समाचारों के रूप में पंहुचाते हैं। और इसमें भी उन्हें कई तरह की चुनौमियों का सामना करना पड़ता है। वह अपनी पारदर्शिता  को बनाए रखने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। और इस पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि वह अपना कार्य स्वतंत्र रूप से कर सकें। इसी उद्देश्य से हर वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित होने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की एक थीम अर्थात् विषय निर्धारित की जाती है। इस वर्ष का विषय है ‘ग्रह के लिए एक प्रेसः पर्यावरण संकट के सामने पत्रकारिता’।  2024 में, 31वें  विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस वर्तमान वैश्विक पर्यावरण संकट के संदर्भ में पत्रकारिता के महत्व और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समर्पित है। लोकतांत्रिक समाज के निर्माण के लिए वैश्विक पर्यावरण संकट के सभी पहलुओं और इसके परिणामों के बारे में जागरूकता आवश्यक है।

पत्रकारों को समसामयिक मुद्दों, जैसे आपूर्ति-श्रृंखला समस्याओं, जलवायु प्रवासन, निष्कर्षण उद्योग, अवैध खनन, प्रदूषण, अवैध शिकार, पशु तस्करी, वनों की कटाई, या जलवायु परिवर्तन पर जानकारी प्राप्त करने और प्रसारित करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। दुनिया भर में शांति और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए इन मुद्दों की दृश्यता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

विश्व के त्रिग्रही संकट – जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और वायु प्रदूषण – के संदर्भ में दुष्प्रचार अभियान ज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान विधियों को चुनौती देते हैं। विज्ञान की वैधता पर हमले बहुलवादी और सूचित सार्वजनिक बहस के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं। दरअसल, जलवायु परिवर्तन के बारे में भ्रामक और गलत जानकारी, कुछ मामलों में, उन्हें संबोधित करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को कमजोर कर सकती है।

1991 में यूनेस्को की एक कान्फ्रेंस में प्रेस स्वतंत्रता को लेकर सिफारिष की गई। 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 3 मई को विष्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा कर डाली। परंतु इसके लिए 1991 में अफ्रीकी पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए अभियान छेड़ा था। इसके बाद प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर एक बयान जारी किया गया जिसको डिक्लेरेषन ऑफ विंडहोक के नाम से भी जाना जाता है। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 3 मई को विष्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया। और तब से 3 मई को विष्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

आज का दिन इस बात की याद दिलाता है कि जनता की पंहुच हर समाचार तक होनी चाहिए। इसके साथ ही हर सरकार को इस बात का समर्थन करते रहना चाहिए कि पत्रकार अपने काम को पारदर्षिता के साथ सही और सुरक्षित तरीके से कर सकें।

राहुल मित्तल

असिस्टेंट प्रोफेसर

जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, जयपुर

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