एक खबर ने दुनिया के तीन बड़े देशों चीन, तुर्की और पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी। भारत के सबसे भरोसेमंद दोस्त फ्रांस ने भारत को लेकर एक ऐसा बयान दिया जिसने साबित कर दिया कि राफेल उड़ाने वालों की क्षमता को कम आकना अब किसी भी देश के बस की बात नहीं। दरअसल फ्रांस की डिफेंस रिसर्च एजेंसी एफआरएस यानी फ्रांस रिसर्च स्ट्रेटेजिक रिपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि भारत के बाल्टो की कॉम्बैट प्रोफिशिएंसी यानी युद्ध कौशल का मुकाबला चीन, तुर्की या पाकिस्तान कोई नहीं कर सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़ाकू विमान की ताकत सिर्फ उनकी जनरेशन से तय नहीं होती बल्कि एयर सिक्योरिटी यानी युद्ध में सिद्ध कुशलता से होती है। चीन अपने फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट यानी कि J20 को लेकर दावा कर रहा। पाकिस्तान जो खुद बना नहीं सकता वो भी मेड इन चाइना फाइटर जेट को फिफ्थ जनरेशन बताकर सेखी बगा रहा है और तुर्की वो भी अपने कान फाइटर जेट को लेकर आसमान छू रहा है।
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लेकिन फ्रांस ने सबको आईना दिखाया और कह दिया कि जनरेशन सिर्फ एक टैग है काबिलियत नहीं। अब फ्रांस की रिपोर्ट ने राफेल की खासियत बताते हुए कहा कि भले ही राफेल 4.5 जनरेशन फाइटर जेट है लेकिन इसकी कॉम्बैक्ट रिकॉर्ड और एयर सिक्योरिटी ऐसी है कि यह किसी भी फिफ्थ जनरेशन जेट को टक्कर दे सके। राफेल ने कई बार अमेरिकी F2 और F35 जैसे फाइटर जेट के सामने अपने कौशल को साबित किया है और भारत के राफेल स्क्वाडन ने इसे एक और स्तर पर पहुंचा दिया है। अब आते हैं उस हिस्से पर जिसने दुनिया को हिला दिया है। फ्रांस ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल के खिलाफ चल रहे झूठे प्रोपेगेंडे में चीन, तुर्की, पाकिस्तान के साथ अमेरिका भी शामिल है। क्या था वो प्रोपगेंडा? यह जान लीजिए। दरअसल, राफेल के एक इंसिडेंट को बढ़ा चढ़ाकर फेलियर के रूप में पेश करना। छोटे से नुकसान को बड़ा जगाकर यह दिखाना कि राफेल बेकार है। दरअसल यह एक सुनियोजित मीडिया कैंपेन था ताकि फ्रांस की रक्षा तकनीक पर दुनिया का भरोसा कम हो और अमेरिका अपने एफपथिस जेट्स को आगे कर सके।
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भारत ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस से 114 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने में रुचि दिखाई है, जो वर्तमान में लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है। इसी बीच, फ्रांसीसी राजदूत थिएरी मथौ ने हाल ही में भारत में ये विमान बनाने की इच्छा जताई है। द प्रिंट के अनुसार, उन्होंने कहा कि फ्रांस पहले ही लड़ाकू विमान के लिए दो सौदे कर चुका है और एक नया सौदा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि फ्रांस समझता है कि भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करे। द प्रिंट ने उनके हवाले से कहा कि जब हम इन क्षेत्रों में अन्य हितधारकों के साथ अपने दृष्टिकोण की तुलना करते हैं, तो हमारा उद्योग पूरी तरह से मेक इन इंडिया के मूड में है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जल्द ही चर्चा होने की संभावना है और उन्होंने आगे कहा और मैं आपको बता सकता हूँ कि हम न केवल राफेल बेचने के लिए, बल्कि भारत में राफेल बनाने के लिए भी बहुत उत्सुक हैं।
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इससे पहले, मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि डसॉल्ट एविएशन लगभग 60 प्रतिशत स्वदेशीकरण के साथ भारत में विमान के लिए अंतिम असेंबली लाइन स्थापित करने को तैयार है। सितंबर में समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए 114 ‘मेक इन इंडिया’ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी है। अगर ऐसा सौदा होता है, तो भारत के पास 176 राफेल होंगे, जिनमें भारतीय वायुसेना द्वारा पहले ही शामिल किए जा चुके 36 और भारतीय नौसेना द्वारा पहले ही ऑर्डर दिए जा चुके 26 विमान शामिल होंगे।
		