उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित सुप्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में गत रविवार को सुबह आरती के समय अचानक बेकाबू हुई भीड़ से मची भगदड़ से हुए हादसे में जहां 8 लोगों की जान चली गई, वहीं 26 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इससे भक्त और भगवान के व्याकुल अन्तर्सम्बन्धों के साथ-साथ मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सुलगते हुए सवाल उठ हैं। ऐसा इसलिए कि अपने आपमें न तो यह पहली घटना है और न ही अंतिम! बावजूद इसके, बेगुनाहों की मौतों का यह सिलसिला कब थमेगा, विश्वास पूर्वक कुछ कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि ब्रेक के बाद देश भर के सुप्रसिद्ध मंदिरों या फिर उससे जुड़े अनुष्ठानों में ऐसे हादसे होते रहते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि पहले भी भीड़ जुटने के बाद अचानक मचने वाली भगदड़ में कई जानें जा चुकी हैं। सिर्फ मंदिर ही नहीं, अन्य सेलिब्रेटिज के दीदार या यात्रा सम्बन्धी भीड़ बढ़ने के बाद भी महज एक छोटी सी अफवाह कई लोगों की जान ले लेती हैं और बहुतेरे लोगों को घायल कर जाती हैं। इसमें महिलाओं और बच्चों के शिकार होने की संभावना ज्यादा होती हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गत 4 जून 2025 को आईपीएल में आरसीबी जीत का जश्न मनाने के लिए खेल के मंदिर यानी चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए समारोह में अकस्मात मची भगदड़ से 11 लोग मारे गए।
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वहीं, बीते 3 मई 2025 को गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव में मची अचानक भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई और 100 लोग घायल हुए। जबकि गत 15 फरवरी 2025 को रेल यात्रा के मंदिर यानी नई दिल्ली स्टेशन पर अकस्मात मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी। तब ये लोग महाकुंभ जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। वहीं, 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ ‘अमृत स्नान’ में भाग लेने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जुटने के बाद संगम नोज क्षेत्र में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई, जबकि 60 अन्य घायल हो गए। इससे पहले गत 8 जनवरी 2025 को तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के टिकट के लिए हुई धक्का-मुक्की में छह श्रद्धालु मारे गए, जबकि दर्जनों घायल हो गए।
अब बात करते हैं बीते वर्ष हुई भगदड़ सम्बन्धी घटनाओं की। गत 2 जुलाई 2024 को यूपी के हाथरस में स्वयंभू दलित बाबा समझे जाने वाले भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग में भगदड़ से 100 से अधिक मौतें हुई। इससे एक साल पहले यानी 31 मार्च 2023 को इंदौर में एक मंदिर में रामनवमी पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान प्राचीन ‘बावड़ी’ के ऊपर बनी स्लैब के ढहने से 36 लोगों की मौत हो गई। इससे एक वर्ष पूर्व यानी 1 जनवरी 2022 को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक दर्जन से अधिक घायल हो गए।
इसी प्रकार एक दशक पहले यानी 14 जुलाई 2015 को आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी में आयोजित ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन ही गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। वहीं, 3 अक्टूबर 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में मची भगदड़ में 32 लोग मारे गए और 26 अन्य घायल हो गए। वहीं, 13 अक्टूबर 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान मची भगदड़ में 115 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए।
यही वजह है कि उपर्युक्त तमाम जगहों के प्रबंधकों/व्यवस्थापकों के साथ-साथ भक्ति या दीवानगी में बेलगाम होते जा रहे श्रद्धालुओं/शुभचिंतकों, अनुगामियों की भूमिका पर सवाल दर सवाल उठ रहे हैं। यह जनपद प्रशासन और पुलिस प्रशासन की नाकामी का भी परिचायक है, क्योंकि देश के विभिन्न जिलों में ऐसी लोमहर्षक और हृदयविदारक घटनाएं ब्रेक के बाद होती रहती हैं, लेकिन हमारी केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय नगरीय निकायों/ग्रामीण निकायों के निर्देश पर सक्षम प्रशासन द्वारा या एनडीआरएफ की ओर से ऐसी कोई माकूल व्यवस्था नहीं की गई कि भीड़ बढ़ने के बाद उसपर हर हाल में काबू पाया जा सके। यदि ऐसा संभव होता है कि इन आकस्मिक मौतों और घायलों को होने वाली पीड़ा को टाला जा सकता है।
इसलिए जहां तक मंशा देवी मंदिर पर घटी हालिया भगदड़ का सवाल है तो यह बेहद चिंता की बात है, क्योंकि देवभूमि उत्तराखंड का प्रवेशद्वार हरिद्वार को ही माना जाता है। इस अव्यवस्था से पर्यटकों की संख्या भी प्रभावित हो सकती है। यह ठीक है कि हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़ में जो बच गए, वे खुद पर माता बड़ी कृपा मान रहे है। लेकिन जिन लोगों की जान इस अप्रत्याशित हादसे में चली गई, आखिर उनकी खता क्या रही होगी, इस पर भगवान भी मौन हैं और श्रद्धालुओं का जत्था स्तब्ध।ऐसे में प्रारब्ध की बात कहकर आखिर कबतक प्रबंधन सम्बन्धी व प्रशासनिक लापरवाहियों पर खामोश रहा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार में शिवालिक पहाड़ियों पर लगभग 500 फीट से अधिक ऊंचाई पर मनसा देवी मंदिर स्थित है, जहां की सीढ़ियां भी खड़ी चढ़ाई वाली हैं। दरअसल, कांवड़ यात्रा के कारण बंद हुए रास्ते भी रविवार को खुल गए थे, जिससे मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई। सीढ़ियां भी छोटी हैं, जहां बरसात में फिसलन होती है।
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि मंदिर परिसर में सुबह की आरती के समय भीड़ के बीच अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। यहां भगदड़ से पहले का एक विडियो फुटेज भी सामने आया है। जिससे स्पष्ट होता है कि मंदिर जाने वाला पैदल मार्ग श्रद्धालुओं से खचाखच भरा है। भीड़ इतनी थी कि कि मनसा देवी जाने वाला पैदल मार्ग पर लोग एक-दूसरे से बुरी तरह चिपके हुए थे। इस तरह की स्थिति में तमाम लोग छोटे-छोटे बच्चों के साथ भी भीड़ में फंसे हुए दिख रहे हैं।
बताया जा रहा है कि तभी अचानक किसी ने बिजली का तार टूटने की अफवाह फैला दी और इससे डरकर लोगों में भगदड़ मच गई। लोग भागने लगे और इस दौरान एक-दूसरे पर गिरने लगे। जो गिर गया, वह फिर उठ नहीं पा रहा था और उसके ऊपर से कितने ही लोग गुजर जा रहे थे। ऐसे में जो बच गए, उनमें से कई घायल है। भगदड़ की सूचना के बाद जब एबुलेंस पहुंची, तो कई घायल लोग प्रवेश द्वार पर लावारिस पड़े हुए थे। देवी को चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा लाई गई चुनरियां हरिद्वार में पहाड़ी पर स्थित मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर बिखरी पड़ी थी। प्रवेश द्वार पर ढेर सारे जूते-चप्पल भी लावारिस पड़े थे।
इस घटना के तुरंत बाद एम्बुलेंस को बुलाया गया ताकि हताहतों को बचाया जा सके। इसलिए वायरल एक विडियो में एक पुलिसकर्मी घायल बच्चे को गोद में लिए एंबुलेस की ओर दौड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं, एक अन्य एम्बुलेस के अंदर दर्द से तड़प रहा घायल अपने रिश्तेदारों के बारे में पूछताछ कर रहा था, जो भगदड़ के दौरान बिछड़ गए थे। एक अन्य विडियो में संकरे रास्ते में लोग फंसे हुए नजर आ रहे है, जिसमें बच्चे भी है। भगदड़ से कुछ देर पहले शूट किए गए एक विडियो में एक महिला भीड़ में फंसी हुई दिखाई दे रही है, जो मुश्किल से अपने बच्चे को संभाल पा रही है। विडियो में दिख रही जगह वही है, जहां भगदड़ हुई थी। दर्जनों लोग एक-दूसरे से चिपके हुए थे और मुश्किल से हिल-डुल रहे थे, बस बच्चो को अपने सिर के ऊपर ही उठाए हुए थे।
लोगों का कहना है कि प्रशासन भीड़ का सही अंदाजा नहीं लगा पाया। वहीं, प्रशासन ने कहा है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और मंदिर परिसर को खाली करवा लिया गया है। यह घटना सुबह करीब 9 बजे हुई बताई जाती है। वहीं, पुलिस ने कहा है कि श्रद्धालुओं की भीड बढने और अव्यवस्थित एंट्री-एग्जिट की वजह से ये हादसा हुआ। जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त संकरे सीढी मार्ग से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु लगातार मंदिर की ओर जा रहे थे।
वहीं, प्रशासन ने दावा किया कि हादसे के बाद मनसा देवी मंदिर परिसर को खाली करवा लिया गया है। इस अप्रत्याशित हादसे के बाद सरकार और प्रशासन दोनों एक्शन में नजर आ रहे हैं। इस हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंदिर के पैदल मार्ग पर हुई भगदड़ की घटना की मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए है। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए उन्होंने भी जरूरी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घायलों का भी हाल जाना। उन्होंने इस घटना में मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता देने की घोषणा की। साथ ही, पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद की बात भी कही।
वहीं, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा है कि, ‘हमने तस्वीरों और विडियो की जांच में पाया कि किसी ने बिजली के तार टूटने की अफवाह फैलाई, जबकि घायलों या मृतको को देखकर हमें ऐसा कोई संकेत नहीं मिला। हम जांच करेंगे कि किसने अफवाह फैलाई। जबकि एसएसपी प्रमेद्र सिंह डोवाल ने बताया कि अफवाह कैसे फैली, इसकी जांच की जा रही है।
उधर, विपक्ष ने भी इस घटना पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने इसे सरकार और प्रशासन की लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरी तरह से प्रशासन की असफलता और सरकार की लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि श्रावण मास शिवरात्रि के बाद का प्रथम शनिवार और रविवार को हरिद्वार में अधिक भीड़ का समय होता है। यह बात हर वर्ष प्रशासन को मालूम रहती है, फिर श्री प्रशासन ने कोई पुख्ता तैयारी नहीं की। उन्होंने कहा कि सीढ़ी वाले रास्ते को भीड़ बढ़ने पर हमेशा वन-वे कर दिया जाता है, लेकिन रविवार को दोनों और से आवाजाही चालू रखी गई।
वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह केवल हादसा नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता है और इसे लेकर जवाबदेही तय की जानी बाहिए। वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी इस घटना पर दुख जताया है।
वहीं, एक स्थानीय निवासी अजय जायसवाल ने कहा है कि हर की पौड़ी के बाद मनसा देवी हरिद्वार में श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा है। यहां हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन में भीड़ बढ़ है। रविवार होने से भीड़ और बढ़ गई। प्रशासन को सतर्क होना था। उधर, प्रभावित लोगों के बारे में जिला आपातकालीन केंद्र, हरिद्वार से 01334-223999, 9068197350. 9528250926 नंबरों पर जानकारी ली जा सकती है, क्योंकि प्रशासन ने इन आपातकालीन नम्बरों को लोगों की सुविधा के लिए जारी किया है।
– कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
