दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने आज आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा दायर कर बताए कि प्रदूषण की स्थिति को और गंभीर होने से रोकने के लिए अब तक कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं। कोर्ट को यह भी सूचित किया गया कि हाल के दिनों में कई मीडिया रिपोर्ट्स में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के गैर-कार्यक्षम होने की जानकारी सामने आई है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच, एमसी मेहता केस से जुड़े पर्यावरण मामलों पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि कोर्ट ने 14 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में अस्थायी छूट देते हुए दिवाली पर ग्रीन क्रैकर्स के इस्तेमाल की अनुमति दी थी, जो कुछ शर्तों के साथ लागू होगी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने उस आदेश में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें वायु गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी और प्रदूषण के स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने से पहले ही रोकथाम के उपाय करने की आवश्यकता है। CAQM से रिपोर्ट दाखिल कराने की मांग पर, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रदूषण के और ज्यादा खराब होने से बचाने के लिए आयोग अपने आगामी कदमों पर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे।
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह (अमिकस क्यूरी) ने कहा कि वायु निगरानी स्टेशनों के गैर-कार्यरत होने की खबरें चिंता का विषय हैं और अगर ये स्टेशन काम नहीं कर रहे, तो ग्रैप नियम कब लागू होंगे, यह पता करना मुश्किल हो जाएगा।
इस मुद्दे पर CAQM की तरफ़ से बताया गया कि उन्होंने पहले ही एक रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसे समय की कमी होने के कारण सुना नहीं जा सका। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) पर यह जिम्मेदारी डालते हुए कहा गया कि डेटा उनके पास है, इसलिए रिपोर्ट वही दायर करें। इस पर अमिकस ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आयोग अपनी जवाबदेही से भागता नज़र आ रहा है।
गौरतलब है कि 14 अक्टूबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री, निगरानी, समय-सीमा, लाइसेंसिंग, और बाहरी क्षेत्रों से एनसीआर में पटाखों की एंट्री रोकने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के तहत बिक्री की निगरानी के लिए जिलेवार पेट्रोलिंग टीमें बनाईं जाएंगी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये पटाखों की खरीद-बिक्री पर भी रोक रहेगी।
अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि राहत केवल “टेस्ट केस” के रूप में दी गई है और भविष्य में इसकी समीक्षा की जाएगी।
इस मामले पर अगली सुनवाई से पहले सीएक्यूएम और सीपीसीबी को अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट दाखिल करनी होगी, जिसमें प्रदूषण की रोकथाम, निगरानी स्टेशनों की कार्यप्रणाली और दिवाली के दौरान लागू नियमों के पालन की स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
		