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 - Played Cricket With Sachin Kambli, Scored 30 Centuries In First Class.
 
11 मिनट पहले
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साल 1988 में हुए हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की पार्टनरशिप खेली थी। इस पार्टनरशिप ने हर जगह सुर्खियां बटोरी। वहीं से दोनों का करियर एक अलग ही टर्न लेता है। लेकिन सचिन और कांबली के बाद अगले बैटर जो पैडअप करके बैठे थे, वो थे अमोल मजूमदार, जिनका कभी नंबर नहीं आया। आगे भी यही हुआ, इंटरनेशनल क्रिकेट में उनका कभी नंबर ही नहीं आया।
अब वे पहले कोच बने हैं, जिनकी अगुवाई में इंडियन विमेंस क्रिकेट टीम ने अपना पहला वर्ल्ड कप टाइटल जीता है।
अपने 21 साल के क्रिकेट करियर में वो कभी इंडियन टीम के लिए नहीं खेल पाए। साल 2014 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। लेकिन अब एक हेड कोच के रूप में उन्होंने महिला टीम को विश्व चैंपियन बना दिया है।

सचिन-कांबली के कोच आचरेकर से क्रिकेट ट्रेनिंग ली
मजूमदार को उनके पिता ने क्रिकेट से रूबरू कराया। वो शुरुआती दिनों में शिवाजी पार्क में प्रैक्टिस किया करते थे। इस दौरान उन्होंने सचिन, कंबली और प्रवीण आमरे के साथ क्रिकेट खेला।
मजूमदार ने शुरू में बी.पी.एम. हाई स्कूल में पढ़ाई की, लेकिन अपने कोच रमाकांत आचरेकर के कहने पर उन्होंने शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल में दाखिला ले लिया। इसी स्कूल में मजूमदार की मुलाकात सचिन तेंदुलकर से हुई, जो कोच आचरेकर ट्रेनिंग ले रहे थे।
फर्स्ट क्लास डेब्यू में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
अमोल मजूमदार ने 19 साल की उम्र में 1993-94 के सीजन में मुंबई के लिए खेलते हुए अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। फारीदाबाद में हरियाणा के खिलाफ क्वार्टर फाइनल उनका पहला रणजी मैच था। उन्होंने अपनी पहली पारी में 260 रन बनाए, जो उस समय फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू पर वर्ल्ड रिकॉर्ड था।
हालांकि अभी डेब्यू मैच में सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बिहार के साकिबुल गनी के नाम है। उन्होंने 18 फरवरी, 2022 को मिजोरम के खिलाफ बिहार की ओर से खेलते हुए 341 रन बनाए थे।
‘भविष्य का तेंदुलकर’ कहा जाता था
मजूमदार 1990 और 2000 के दशक में अमोल मजूमदार मुंबई रणजी टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिने जाते थे। करियर के शुरुआती दिनों में उन्हें ‘भविष्य का तेंदुलकर’ कहा जाता था। वो 1994 के इंग्लैंड दौरे पर भारत की अंडर-19 टीम के उप-कप्तान थे। उन्होंने राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली के साथ इंडिया A के लिए भी खेला था।
डोमेस्टिक में 30 शतक, 11 हजार रन बनाए
उस दौर में इंडियन बैटिंग लाइनअप इतना स्ट्रॉन्ग था कि डोमेस्टिक क्रिकेट में 30 शतक और 11 हजार से ज्यादा रन, मुंबई के साथ 8 टाइटल (एक बतौर कप्तान) जीतने वाले खिलाड़ी अमोल मजूमदार को इंटरनेशनल में मौका नहीं मिला।
सितंबर 2009 में, जब मजूमदार को मुंबई टीम में सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट के लिए सिलेक्ट नहीं किया गया, तो उन्होंने असम टीम से जुड़ने का फैसला किया। इसके बाद में अक्टूबर 2012 में 2 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर आंध्र प्रदेश की रणजी टीम से जुड़े। फिर साल 2014 में युवा खिलाड़ियों को मौका देने के लिए उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया।

मजूमदार ने अपने रणजी करियर में 48.13 के औसत से कुल 11,167 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 60 अर्धशतक शामिल है।
किस्मत में नहीं था इंटरनेशनल खेलना
पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर एक टॉक शो में बताते हैं, ‘उस दौर में बहुत कम अपॉर्च्युनिटी मिलती थी। रणजी ट्रॉफी में अगर आप अच्छा खेलकर रन बनाते थे, तो दिलीप ट्रॉफी में मौका मिलता था। दिलीप ट्रॉफी जोनल होती थी, जिसमें नॉर्थ जोन, साउथ जोन, वेस्ट जोन और साउथ जोन होते हैं। अगर आप दिलीप ट्रॉफी में रन बनाते थे तो आपको ईरानी ट्रॉफी में मौका मिलता था, जिसमें रणजी ट्रॉफी चैंपियन और इंडिया A टीम के बीच मैच होता है। अगर आपने ईरानी ट्रॉफी में अच्छा खेला या रन बनाते थे तो ओवरसीज टीम आने पर इंडिया A के लिए मौका मिलता था।
अमोल बहुत अनफॉर्चुनेट थे कि उनके कभी ऐसे मैचेज में रन नहीं बने। शायद किस्मत में नहीं था इंटरनेशनल खेलना।’
‘चक दे इंडिया’ के ‘कबीर खान’ से तुलना हो रही
टीम इंडिया का कप जीतना उनके लिए शायद फिल्म ‘चक दे इंडिया’ के ‘कबीर खान’ वाले पल जैसा रहा होगा। साल 2007 में आई इस फिल्म में कबीर खान का रोल शाहरुख खान ने निभाया था। फिल्म में कबीर खान ने हॉकी टीम को अपनी कप्तानी में विश्व चैंपियन नहीं बना पाए थे। लेकिन महिला टीम का कोच बनने के बाद उन्होंने टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाने का सपना पूरा किया था। अब अमोल मजूमदार रियल लाइफ के असली कबीर खान बने हैं।
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