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कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की मेन्स्ट्रुअल लीव पॉलिसी पर लगाया अपना स्टे वापिस ले लिया है। जस्टिस ज्योति एम ने केस को अगली सुनवाई के लिए 20 जनवरी तक टाल दिया है, और पॉलिसी पर स्टे का कोई निर्देश नहीं दिया।
बेंगलुरु होटल्स एसोसिशन ने पॉलिसी के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई के दौरान 9 दिसंबर को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए पॉलिसी ऑर्डर पर स्टे लगा दिया था।
हालांकि, कुछ घंटे बाद राज्य सरकार के वकील शशि किरन शेट्टी ने कोर्ट को अंतरिम रोक पर पुनर्विचार करने की रिक्वेस्ट की। कोर्ट 10 दिसंबर को एक और सुनवाई के लिए राजी हो गया। शेट्टी ने कहा कि नई पॉलिसी एक प्रोग्रेसिव कदम है जिसे काफी विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। जस्टिस ज्योति एम ने अगली सुनवाई तक के लिए स्टे वापिस ले लिया।
महिलाओं को साल में 12 दिन पीरियड्स लीव मिलेगी
राज्य सरकार ने 9 अक्टूबर को मेंस्ट्रुअल लीव पॉलिसी (MLP) 2025 को मंजूरी दी थी। इसका फायदा सरकारी महिला कर्मचारियों के साथ-साथ, प्राइवेट कंपनीज और इंडस्ट्रियल सेक्टर्स में काम करने वाली महिलाओं को भी मिलेगा। आदेश के अनुसार 18 से 52 वर्ष की महिलाओं को पीरियड्स लीव मिलेगी।
मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं
इस छुट्टी को मंजूरी देने का अधिकार उसी अधिकारी के पास होगा जो कैज़ुअल लीव देता है। इसके लिए किसी मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। ये लीव किसी दूसरी छुट्टी के साथ नहीं जोड़ी जा सकेगी और इसे अलग से लीव रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा।
यह छुट्टी उन सभी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं को मिलेगी जो नीचे दिए गए कानूनों के तहत रजिस्टर्ड हैं।
- फैक्ट्रीज एक्ट, 1948
- कर्नाटक शॉप्स और कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1961
- प्लांटेशन वर्कर्स एक्ट, 1951
- बीड़ी और सिगार वर्कर्स (कंडीशन्स ऑफ एम्प्लॉयमेंट) एक्ट, 1966
- मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स एक्ट, 1961
60 लाख महिलाओं को होगा फायदा
लेबर डिपार्टमेंट के अनुसार राज्य में करीब 60 लाख कामकाजी महिलाएं हैं। इनमें से 25 से 30 लाख महिलाएं कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करती हैं। विभाग सभी एम्प्लॉयर्स के साथ एक बार मीटिंग करके उन्हें इस नए नियम को लेकर अवेयर करेगा।
पॉलिसी के अप्रूव होने से पहले 18 सदस्यों की एक कमेटी ने इसपर कुछ सुझाव दिए थे। इसमें पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव, उनकी मुश्किलें और ऐसे समय में उनके शरीर को आराम की जरूरत की बात कही गई थी। इस कमेटी को क्राइस्ट यूनिवर्सिटी की लॉ डिपार्टमेंट की चीफ सपना एस लीड कर रही थीं। इसके बाद सरकार ने इसके फायदे-नुकसान को जाना। अलग-अलग विभागों और ऑर्गेनाइजेशन्स से इसपर सुझाव लिया। महिला प्रधान उद्योग जैसे कपड़ा उद्योग पर पड़ने वाले असर को भी समझा।
बिहार, ओडिशा में पहले से लागू
इसी के साथ कर्नाटक देश के उन कुछ राज्यों का हिस्सा बन गया है जहां महिलाओं को पीरियड लीव दी जाती है। बिहार में महिलाओं को हर महीने दो पीरियड लीव मिलती हैं। हाल ही में ओडिशा में सरकारी विभागों में काम करने वाली महिलाओं के लिए 1 पीरियड लीव देने की घोषणा की गई थी।
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