@narendramodi/ANI
भारत ने अमेरिका के आगे झुकने की बजाए टैरिफ वॉर का सामना करने का रास्ता चुना है। इसके अलावा अब एक नया ग्रप भी आकार लेता दिख रहा है। अमेरिका के दो कट्टर प्रतिद्वंदी रूस और चीन की मंशा बहुत दिनों से भारत को साथ लेकर एक ग्रुप आरआईसी बनाने की रही है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने टैरिफ कार्ड के जरिए दुनियाभर के देशों को झुकाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में रूस से तेल खरीद को लेकर वो भारत को निशाना बना रहे हैं। पहले 25 प्रतिशत और उसके बाद 50 प्रतिशत तक का टैरिफ भारत पर थोपने का वो ऐलान कर चुके हैं। ट्रंप भारत को डराना और झुकाना चाहते हैं जिससे वो अमेरिका की शर्तों पर ट्रेड डील करने को राजी हो जाए। लेकिन भारत ने अमेरिका के आगे झुकने की बजाए टैरिफ वॉर का सामना करने का रास्ता चुना है। इसके अलावा अब एक नया ग्रप भी आकार लेता दिख रहा है। अमेरिका के दो कट्टर प्रतिद्वंदी रूस और चीन की मंशा बहुत दिनों से भारत को साथ लेकर एक ग्रुप आरआईसी बनाने की रही है। अब भारत ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। एक तरफ तो चीनी विदेश मंत्री भारत के दौरे पर हैं। वहीं ट्रंप से अलास्का में मीटिंग से पहले और बाद दोनों दफा रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को फोन मिलाया और सारी बातचीत की जानकारी भी दी है। इधर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुलाकात की और अब वो रूस के दौरे पर रवाना हो गए हैं। जयशंकर की यह यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा और द्विपक्षीय ऊर्जा एवं रक्षा संबंधों पर बातचीत के कुछ दिनों बाद हो रही है।
इसे भी पढ़ें: हम अपने नेताओं के…चीनी विदेश मंत्री के सामने बैठक में अजित डोभाल ने कह दी बड़ी बात
विदेश मंत्री जयशंकर रूस यात्रा पर रवाना
विदेश मंत्री जयशंकर मंगलवार, 19 अगस्त को समय की कसौटी पर खरी उतरी भारत-रूस साझेदारी को और मज़बूत करने के लिए रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए। विदेश मंत्रालय (MEA) ने जयशंकर की यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि वह बुधवार को आयोजित होने वाले व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे। जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच यूक्रेन में शांति लाने के लिए ट्रम्प प्रशासन की नवीनतम पहलों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि इस यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री रूसी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा करेंगे और क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करेंगे। बयान में आगे कहा गया, इस यात्रा का उद्देश्य दीर्घकालिक और समय-परीक्षित भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करना है।
इसे भी पढ़ें: LAC पर जवान, अमेरिकी टैरिफ… चीनी विदेश मंत्री संग जयशंकर ने किन-किन मुद्दों पर की बात?
टाइमिंग बेहद ही अहम
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना कर 50 प्रतिशत करने के फैसले से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव है। इस शुल्क में रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर लगाया गया 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है। विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि वह व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के बुधवार को होने वाले 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे। माना जा रहा है कि जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सेर्गेई लावरोव यूक्रेन में शांति लाने संबंधी ट्रंप प्रशासन की नवीनतम पहलों पर भी चर्चा करेंगे।
अन्य न्यूज़