भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में बताया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना (IAF) ने कम से कम पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े एयरबोर्न अर्ली वार्निंग विमान को मार गिराया था। उनके इस खुलासे को अंतरराष्ट्रीय सैन्य विमानन विश्लेषकों और इतिहासकारों का भी समर्थन मिला है। हम आपको बता दें कि ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध एरियल वारफेयर विशेषज्ञ टॉम कूपर ने इस दावे को “मई से ही लगभग ज्ञात” तथ्यों की आधिकारिक पुष्टि बताया है। उन्होंने इस बात का भी समर्थन किया कि IAF के S-400 सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम ने 300 किलोमीटर दूर से लक्ष्य को भेदा, जो विश्व रिकॉर्ड है।
टॉम कूपर के अनुसार, S-400 द्वारा मार गिराया गया पाकिस्तानी साब 2000 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट न केवल भारत–पाक सीमाओं पर वायु श्रेष्ठता स्थापित करने वाला कदम था, बल्कि यह विश्व स्तर पर किसी सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल द्वारा दर्ज की गई सबसे लंबी दूरी की पुष्टि-शुदा सफलता है। उन्होंने इसकी तुलना रूस–यूक्रेन युद्ध में हुई 200 किलोमीटर दूरी की मिसाइल हिट से करते हुए कहा कि भारत की 300 किमी दूरी की सफलता “ऐतिहासिक” है।
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टॉम कूपर ने बताया कि IAF ने S-400 को पाकिस्तान सीमा के अत्यंत नज़दीक तैनात किया, जहां यह पाकिस्तानी सेना की तोपों की मारक सीमा में था। इसका मतलब था कि यदि इसकी मौजूदगी का समय से पहले पता चल जाता, तो पाकिस्तान इसे तोपखाने से नष्ट कर सकता था। इस स्थिति में भी इसे तैनात कर सफलतापूर्वक ऑपरेशन को अंजाम देना, भारतीय वायुसेना की तैयारी, आत्मविश्वास और साहस को दर्शाता है।
हम आपको बता दें कि टॉम कूपर और उनके जैसे अन्य सैन्य रणनीतिकार जॉन स्पेंसर पहले ही ऑपरेशन सिंदूर को भारत की निर्णायक जीत बता चुके हैं। 7 मई की रात से 10 मई तक चले इस 72 घंटे के सीमित युद्ध में भारतीय वायुशक्ति ने पाकिस्तान पर स्पष्ट बढ़त हासिल की थी। टॉम कूपर का दावा है कि हवा में मार गिराए गए विमानों के अलावा, पाकिस्तान के और भी कई विमान ज़मीन पर नष्ट किए गए, हालांकि भारत सरकार या वायुसेना ने उस समय इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी।
हम आपको यह भी बता दें कि कई भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का भी कहना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने अपने “उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया”, जिसके लिए इसे शुरू किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद (सेवानिवृत्त) ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने वह उद्देश्य हासिल कर लिया जिसके लिए इसे शुरू किया गया था। यह उद्देश्य था हमारी सेना द्वारा चिह्नित आतंकी शिविरों को नष्ट करना और आतंकवादियों तथा उन्हें बढ़ावा देने वालों को स्पष्ट संदेश देना।” उन्होंने कहा, “किसी भी युद्ध से संघर्ष में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। अगर भारत संघर्ष को लंबा खींचता रहता, तो क्या इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचता, जो इस समय बढ़ रही है? निश्चित रूप से होता।” लेफ्टिनेंट जनरल प्रसाद ने रूस-यूक्रेन युद्ध में हुई तबाही का हवाला देते हुए इसके निहितार्थों को रेखांकित किया।
साथ ही कई रक्षा विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि जो लोग ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोकने पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें भौतिक और मानवीय नुकसान के संदर्भ में और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के संदर्भ में युद्ध के निहितार्थों की “समझ नहीं है।” मेजर जनरल पीके सहगल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत का मुख्य उद्देश्य आतंकवादियों और आतंकवाद को परास्त करना था और ‘‘हम इस उद्देश्य में पूरी तरह सफल रहे।’’ उन्होंने इजराइल-हमास संघर्ष के अभी भी जारी रहने का हवाला देते हुए पूछा कि क्या इजराइल अपने उद्देश्यों में सफल रहा है।
जहां तक वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के दावे पर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि सभी का कहना है कि यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल द्वारा 300 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी पर ऐसी किसी प्रणाली (विमान) को मार गिराने की कोई सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। यानि भारत से पहले कोई यह रिकॉर्ड नहीं बना पाया था। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस हमले से पाकिस्तान को मनोवैज्ञानिक, रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से बड़ा झटका लगा है, जिससे उबरना उसके लिए कठिन होगा। हम आपको बता दें कि एक एईडब्ल्यू एंड सी विमान हवाई क्षेत्र की निगरानी और हवाई खतरों का शीघ्र पता लगाने में मदद करता है और हवाई युद्ध की स्थिति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बताया जाता है कि पाकिस्तान के पास छह से आठ एईडब्ल्यू एंड सी विमान हैं।
बहरहाल, ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य सफलता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत है कि भारत के पास अब ऐसी दीर्घ-दूरी मारक क्षमता है जो न केवल युद्ध के मैदान पर निर्णायक साबित हो सकती है, बल्कि विरोधियों के रणनीतिक गणित को भी बदल सकती है। यह उपलब्धि क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और जोखिम उठाने की क्षमता को रेखांकित करती है। साथ ही यह उन कूटनीतिक प्रयासों के लिए भी सहायक है, जहां भारत को अपनी सैन्य शक्ति का विश्वसनीय प्रतिरोधक के रूप में प्रदर्शन करना पड़ता है।