प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जिस तेजी से सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं, वह न केवल देश की औद्योगिक क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को भी मज़बूती देगा। आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत चार नई परियोजनाएँ इस दिशा में एक निर्णायक कदम हैं। हम आपको बता दें कि ओडिशा के भुवनेश्वर में सिलिकॉन कार्बाइड आधारित सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना रक्षा, अंतरिक्ष, सैटेलाइट और रेल इंजन जैसे उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन देगी। वहीं, 3D ग्लास इकाई का निर्माण एयरोस्पेस, रडार और वायरलेस तकनीक के लिए आवश्यक उच्च गुणवत्ता वाले घटकों की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, पंजाब के मोहाली और आंध्र प्रदेश में स्थापित होने वाले उन्नत सेमीकंडक्टर प्लांट भारत को उच्च क्षमता वाली चिप उत्पादन क्षमता प्रदान करेंगे, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी और निर्यात के अवसर बढ़ेंगे।
यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार का लक्ष्य केवल विनिर्माण इकाइयाँ खड़ी करना नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम खड़ा करना है— जिसमें डिज़ाइन, उत्पादन, परीक्षण और पैकेजिंग से लेकर उच्च स्तरीय अनुसंधान तक सभी चरण शामिल हों। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ और भारत को प्रौद्योगिकी महाशक्ति बनाने के संकल्प का ठोस प्रमाण है।
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हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 5,801 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली 11.165 किलोमीटर लंबी लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के चरण-1बी को मंज़ूरी दी है। इस परियोजना में 12 मेट्रो स्टेशन होंगे। यह परियोजना लखनऊ के लिए एक परिवर्तनकारी विकास साबित होने वाली है। यह बेहतर संपर्क सुविधा, यातायात जाम में कमी, पर्यावरणीय लाभ, आर्थिक वृद्धि और जीवन की गुणवत्ता में सुधार का वादा करती है।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में तातो-द्वितीय जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए 8146.21 करोड़ रुपये के निवेश की मंजूरी दी। परियोजना पूरी होने की अनुमानित अवधि 72 महीने है। 700 मेगावॉट (4 x 175 मेगावॉट) की स्थापन क्षमता वाली यह परियोजना 2738.06 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन करेगी। परियोजना से उत्पन्न बिजली अरुणाचल प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में सुधार लाने और राष्ट्रीय ग्रिड (भारत के विभिन्न ऊर्जा संयंत्रों और उपकेन्द्रों को जोड़ने वाली उच्च वोल्टेज विद्युत शक्ति संचरण प्रणाली) के संतुलन में भी सहायक होगी।
देखा जाये तो आज के कैबिनेट के फैसले दर्शाते हैं कि मोदी सरकार का फोकस एक साथ तीन मोर्चों पर है- तकनीकी आत्मनिर्भरता (चिप्स, सैटेलाइट, अंतरिक्ष अनुसंधान), अवसंरचना विस्तार (सड़क, मेट्रो, रेलवे) और स्वच्छ ऊर्जा तथा हरित विकास (हाइड्रो, डिजिटल कृषि, क्रिटिकल मिनरल्स)।