एक तरफ भारत और अमेरिका के बिगड़ते रिश्ते तो दूसरी ओर पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की लगातार अमेरिका की यात्रा और फिर उसी अमेरिकी जमीन से भारत के खिलाफ जहर उगलना। ये महज एक संयोग नहीं बल्कि एक सोची समझी रणनीति की ओर इशारा करता है। दरअसल, अमेरिका से मुनीर ने भारत के खिलाफ परमाणु धमकी दी है। आसिम मुनीर ने गीदड़भभकी दी कि अगर इस्लामाबद को भारत से अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हुआ तो वो आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेगा। अब गौर करने वाली बात ये है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते हाल के दिनों में तनावपूर्ण हुए हैं और दरारें अब दिखने लगी हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान अमेरिका के आगे सरेंडर कर चुका है और उसे अपनी ढाल बनाने में लगा है। ये भी अपनी तरह का पहला मामला है जब किसी देश के सेना प्रमुख ने अमेरिकी धरती से इस तरह के बयान दिए हैं।
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अमेरिका में बैठकर भारत को परमाणु धमकी
मुनीर ने चेतावनी दी कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि पर अपना फैसला नहीं बदला, तो पाकिस्तान के 25 करोड़ लोगों के जीवन पर खतरा होगा। उन्होंने कहा कि हम इंतजार करेंगे कि भारत बांध बनाए, फिर 10 मिसाइलों से उसे उड़ा देंगे। मुनीर ने कहा कि हमारे पास मिसाइलों की कोई कमी नहीं है। उसने कहा कि भारत के साथ युद्ध में उसके देश के अस्तित्व को खतरा हुआ तो वे उस पूरे क्षेत्र को परमाणु युद्ध में झोंक देंगे। अमेरिका में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने भारत को परमाणु युद्ध की खुली धमकी दी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फ्लोरिडा में पाकिस्तानी कारोबारी अदनान असद की ओर से आयोजित डिनर में मुनीर ने कहा कि हम परमाणु संपन्न देश है। अगर हमें लगा कि हम डूब रहे हैं, तो आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेंगे।
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पाकिस्तान की परमाणु शक्ति
मुनीर द्वारा परमाणु धमकी दिए जाने के बाद, हर किसी के मन में यह सवाल है कि पाकिस्तान के पास कितने परमाणु हथियार हैं? एक प्रमुख रक्षा एवं आयुध थिंक टैंक, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के अनुसार, पाकिस्तान एक मजबूत परमाणु शक्ति है, जिसके नवीनतम आकलन के अनुसार उसके पास अनुमानित 170 परमाणु हथियार हैं। इसकी तुलना में, जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 परमाणु भंडारित हथियार हैं। हालांकि, बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने 2023 में उल्लेख किया था कि इस्लामाबाद में अपने परमाणु शस्त्रागार को तेज़ी से बढ़ाने की क्षमता है क्योंकि उसके पास विकासाधीन कई नई वितरण प्रणालियाँ, चार प्लूटोनियम उत्पादन रिएक्टर और एक विस्तारित यूरेनियम संवर्धन अवसंरचना है। अमेरिका के अल्बानी विश्वविद्यालय में सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर क्लैरी ने कहा है कि पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार का बड़ा हिस्सा उसकी भूमि-आधारित मिसाइल सेनाओं में है, हालांकि वह भूमि, वायु और समुद्र से आयुध ले जाने में सक्षम परमाणु त्रिकोण विकसित कर रहा है। इसके अलावा, परमाणु हथियारों को खत्म करने के अंतर्राष्ट्रीय अभियान ने 2023 में लिखा था कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को विकसित करने के लिए 1 अरब डॉलर की भारी-भरकम राशि खर्च की है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, पाकिस्तान के शस्त्रागार में मुख्य रूप से मोबाइल छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं, जिनकी मारक क्षमता भारत को निशाना बनाने के लिए पर्याप्त है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान को अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों में चीन की महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता से मदद मिली है। पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार होना दुनिया भर के लिए चिंता का विषय रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस्लामाबाद ने कभी भी औपचारिक रूप से आधिकारिक परमाणु सिद्धांत की घोषणा नहीं की है।
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पाकिस्तान का परमाणु बटन
मुनीर की परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए जो चेन ऑफ़ कमांड है उसमें सबसे ऊपर नेशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) है। इसका ढांचा भी लगभग भारत जैसा ही है। इसके चेयरमैन प्रधानमंत्री होते हैं और इसमें राष्ट्रपति, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, चेयरमैन ऑफ़ ज्वाइंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ (सीजेसीएससी), सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुख और स्ट्रेटेजिक प्लान्स डिवीज़न के महानिदेशक होते हैं। एनसीए के तहत स्ट्रेटेजिक प्लान्स डिवीज़न है जिसका मुख्य काम परमाणु एसेट का प्रबंधन और एनसीए को तकनीकी और ऑपरेशनल सलाह देना है। वही स्ट्रेटेजिक फ़ोर्सेज़ कमांड सीजेसीएससी के नीचे काम करती है और इसका काम परमाणु हथियारों को लॉन्च करना है। ये वॉरहेड ले जाने में सक्षम मिसाइलों जैसे शाहीन और नस्र मिसाइलों का प्रबंधन करती है और एनसीए से आदेश मिलने पर परमाणु हथियार दाग सकती है। भारत के साथ हालिया तनाव के दौरान भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाने की रिपोर्टें आईं थीं। हालांकि भारत के साथ संघर्ष विराम की घोषणा के बाद कहा गया था कि पाकिस्तान ने ऐसी बैठक नहीं बुलाई।
