अक्टूबर महीने में भारतीय शेयर बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत देखा गया है, जब तीन महीने की लगातार बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वापसी की है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इस महीने एफपीआई ने भारतीय शेयरों में लगभग 1.65 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया है। बता दें कि इससे पहले एफपीआई जून से सितंबर तक लगातार शुद्ध बिकवाली की स्थिति में थे।
मौजूदा जानकारी के अनुसार, भारतीय बाजारों में वैल्यूएशन में सुधार, कॉरपोरेट आय में उछाल और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था ने इस निवेश को बढ़ावा दिया है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी. चोकालिंगम का मानना है कि हाल में जीएसटी दरों में कमी ने ग्रोथ को तेज़ी दी है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिला है। गौरतलब है कि अक्टूबर में टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और ह्युंडई जैसी प्रमुख कंपनियों की बिक्री में सितंबर की तुलना में दोगुने से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा भारत की 2025-26 की जीडीपी अनुमान को 6.4% से बढ़ाकर 6.6% करना भी निवेशकों का भरोसा मजबूत करता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह सुधार कॉरपोरेट जगत की आय में भी आने वाले महीनों में साफ़ दिखाई देगा, और इसीलिए एफपीआई भारत की ओर आकर्षित हुए हैं।
हालांकि, बाजार जानकारों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क के मुद्दे पर भी निगाहें टिकी हैं। बता दें कि भारत-अमेरिका के बीच एक संभावित व्यापार समझौते की चर्चा है, जो इस तनाव को कम कर सकता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अप्रत्याशित फैसलों का इतिहास देखते हुए अंतिम परिणाम के बारे में कहना कठिन है।
उधर, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भले ही अमेरिका-चीन के बीच कोई व्यापार समझौता हो जाए, उससे भारत में एफपीआई प्रवाह पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत अब भी मूल्यांकन और आय वृद्धि के मामले में एक आकर्षक उभरता बाजार बना हुआ है। इसमें खास तौर से डिजिटल, ऑटो और कैपिटल गुड्स क्षेत्र प्रमुख माने जा रहे हैं।
मौजूदा परिस्थितियों में यह कहना जल्दबाजी होगी कि अक्टूबर की यह एफपीआई खरीदारी नवंबर में भी जारी रहेगी या नहीं। निवेशक फिलहाल वैश्विक परिस्थितियों, ब्याज दरों, मुद्रास्फीति और भारत से जुड़े नीतिगत फैसलों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। वहीं, घरेलू स्तर पर आरबीआई के संभावित दर कटौती के संकेत, पीएलआई योजना, और सरकार के पूंजीगत निवेश प्रयास भी भविष्य के निवेश प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
कुल मिलाकर, अक्टूबर का यह निवेश बाजार में एक सकारात्मक भावना लेकर आया है, लेकिन इसका स्थायित्व आने वाले हफ्तों की आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों पर निर्भर करता है।
