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अमेरिका हमेशा से ये चाहता था कि दुनिया उसके हथियारों पर निर्भर रहे। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि उसके सबसे बड़े प्रोजेक्ट एफ 35 फाइटर जेट को लगातार झटके लग रहे हैं। कभी वो कहीं क्रैश हो जाता है तो कभी भारत के एफ 35 खरीद से दूरी बनाने की खबर सामने आती है। अब यूरोप से भी अमेरिका को करारा जवाब दे दिया।
बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि लालच बुरी बला है। लालच जब हावी हो जाए तो भरोसा और रिश्ते दोनों टूट जाते हैं। यही हाल अमेरिका और उसके एफ 35 लड़ाकू विमान का हो गया। डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी और अमेरिकी शर्तों के लालच ने अपना न सिर्फ भारत को बल्कि यूरोप को भी अमेरिका से दूर करना शुरू कर दिया है। दरअसल, अमेरिका हमेशा से ये चाहता था कि दुनिया उसके हथियारों पर निर्भर रहे। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि उसके सबसे बड़े प्रोजेक्ट एफ 35 फाइटर जेट को लगातार झटके लग रहे हैं। कभी वो कहीं क्रैश हो जाता है तो कभी भारत के एफ 35 खरीद से दूरी बनाने की खबर सामने आती है। अब यूरोप से भी अमेरिका को करारा जवाब दे दिया।
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अभी यूरोप से ट्रंप को बड़ा झटका आया है। स्पेन और स्विजरलैंड ने एफ 35 को खरीदने से इनकार कर दिया। दोनों देशों ने यूरोपीय विक्लपों पर भरोसा जताते हुए अमेरिकी दबाव को ठुकरा दिया। ये सिर्फ हथियारों की कीमत का मामला नहीं बल्कि अमेरिका की मोनोपॉली और कंट्रोल की पॉलिसी से जुड़ा मुद्दा है। पहले माना जा रहा था कि स्पेन अपनी नौसेना के लिए एफ 35 खरीदेगा। लेकिन अचानक मेड्रिड ने प्लान रद्द कर दिया। इसकी जगह उसने 25 नए यूरो फाइटर टाइकून खरीदने और फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम यानी एफसीएएस पर निवेश करने का फैसला किया है।
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इससे भले ही अगले 10 साल तक स्पेन के पास पींचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान न हो। लेकिन उसका घरेलू उद्योग मजबूत होगा। रोजगार पैदा होगा और टेक्नोलॉजी यूरोप के पास ही रहेगी। स्विजरलैंड ने 2022 में जनमत संग्रह कराकर 36 एफ 35 ए खरीदने की मंजूरी दी थी। इसकी कीमत 6 अरब स्विस प्रैंक थी। लेकिन 2023 आते आते सब बदल गया। अमेरिका ने खुद कहा था कि कॉन्ट्रैक्ट फिक्स नहीं है। महंगाई और सामग्री लागत बढ़ने पर कीमतें और बढ़ेगी। ऊपर से ट्रंप ने स्विस निर्यात पर टैरिफ ठोक दिया। ऐसे में स्विजरलैंड के नेता कह रहे हैं कि डील कम की जाए या फिर रद्द कर दी जाए।
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फरवरी में जब नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे तो एफ 35 भारत को चिपकाने की कोशिश की गई थी। वो तो भला हो भारत जिस तरीके से अपनी डील करता है। टाइम लेता है। हर चीज के बारे में पॉजिटिव-निगेटिव पहलू पर गौर करता है। वो तस्वीर तो आप भूले नहीं होंगे जब केरल के एयरपोर्ट पर लगभग 37 दिन अमेरिका का ये एफ 35 खड़ा रहा और दो हफ्ते बाद इसे हैंगर में ले जाने की अनुमति दी गई। लेकिन अब ताश के पत्तों की तरह अमेरिका का एफ 35 लगातार ढेर हो रहा है। ये खुद से ही कहीं भी खड़ा रहा है। जापान में भी इसके लैंड करने की खबर आई।
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