यूरोपियन यूनियन ने वैसे तो एक्शन रूस पर लिया है, लेकिन प्रभाव भारत से लेकर चीन तक पर है। क्योंकि यूरोपियन यूनियन ने ऐसे वक्त में भारत की तीन कंपनियों को निशाना बनाया है जब भारत और यूरोप के बीच फ्री ट्रेड बाईलैट्रल पर बातचीत तेजी से चल रही है। अंतिम चरण में बातचीत है। इसी साल एफटीए होने का अनुमान है। इन सब के बीच रूस के खिलाफ ईयू ने जो फैसला लिया है, उसमें तीन भारतीय कंपनियों को भी निशाना बनाया है। ईयू ने रूस और उससे जुड़ी 45 इकाइयों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें 12 चीन, तीन भारत और दो थाईलैंड की हैं। ईयू ने रूसी राजनयिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। प्रतिबंधों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 2 डॉलर प्रति बैरल बढ़कर 64 डॉलर पर पहुंच गए। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फिर से कहा कि भारत इस साल के अंत तक रूस से तेल खरीद बंद कर देगा। यह एक प्रक्रिया है, जो समय लेगी।
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अमेरिका का रूस की दो तेल कंपनियों पर बैन
क्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बढाने के मकसद से अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए है। प्रतिबंध के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के रूस से कच्चे तेल के आयात पर असर पड़ने के आसार है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड सीधे रूस की ‘रोसनेफ्ट’ से कच्चा तेल खरीदती है। यह भारत में रूसी कच्चे तेल की सबसे बड़ी खरीदार है। रूस से देश के प्रतिदिन 17 लाख बैरल आयात का लगभग आधा हिस्सा खरीदती है। उधर, चीन ने अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करते हुए कहा कि इनका अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है।
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भारत पर क्या असर
रोसनेफ्ट रूस की सबसे बड़ी एनर्जी कंपनी है, जो पेट्रोलियम, गैस बेचती है। लुकोइल रूस और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल-गैस की खोज, उत्पादन, रिफाइनिंग करती है। भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज का रोसनेफ्ट के साथ 25 साल का समझौता है। वह रोज 5 लाख बैरल कच्चा तेल आयात करती है। आगे क्याः अब रिलायंस ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा है कि वह भारत सरकार की नई गाइडलाइन के हिसाब से अपने तेल आयात को एडजस्ट करेगी
रूस ने कहा- अमेरिका हमारा दुश्मन है
प्रतिबंधों के बाद रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि अमेरिका हमारा दुश्मन है। वो जंग में उतर आया है। उसके ‘बातूनी शांति निर्माता’ ने रूस के साथ युद्ध का रास्ता पूरी तरह अपना लिया है। रूस जीतेगा, कुछ भी नहीं छोड़ेगा।
