आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ड्राई आई सिंड्रोम आम समस्या बन गई है। हालांकि यह परेशानी तब होती है, जब आंखों में आंसू पर्याप्त मात्रा में नहीं बनते हैं। या फिर आंसुओं की परत जल्दी सूख जाती है। इसकी वजह से आंखों की सतह पर सूजन, जलन और परेशानी महसूस होती है। हालांकि पहले इसको सिर्फ उम्र से जुड़ी परेशानी माना जाता था। लेकिन अब डिजिटल उपकरणों और बदलती लाइफस्टाइल ने ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या युवाओं में भी तेजी से बढ़ा दिया है।
बता दें कि इस समस्या के होने का मुख्य कारण लंबे समय तक मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर का इस्तेमाल शामिल है। स्क्रीन पर अधिक देर काम करने से पलक झपकने की स्पीड धीमी हो जाती है और आंसू जल्दी सूख जाते हैं। वहीं प्रदूषण, धूल-भरा वातावरण, एयर कंडीशनर और लंबे समय तक कॉन्टेक्ट लेंस पहनना आदि इस समस्या को अधिक गंभीर बना देती हैं। वहीं थायराइड, शुगर और ऑटोइम्यून बीमारियां भी इस समस्या की बड़ी वजह है।
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अक्सर मरीजों को आंखों में चुभन, जलन, तेज रोशनी में असुविधा, धुंधला दिखाई देना और आंखों से ज्यादा पानी आना जैसी शिकायत होती है। कई लोग इसको आंसुओं की एलर्जी समझ बैठते हैं। लेकिन यह ड्राई आई का लक्षण हो सकता है। अगर समय रहते इस समस्या को न पहचाना जाए, तो यह कॉर्निया पर घाव और कभी-कभी आंखों की रोशनी को प्रभावित करने वाली समस्याएं पैदा कर सकता है।
ड्राई आई की समस्या को डायग्नोज करने के लिए कई तरह के टेस्ट भी किए जाते हैं। इनसे आंसुओं की स्थिरता और मात्रा का पता लगाया जाता है। सही पहचान के बाद इसका इलाज असरदार और आसान तरीके से किया जा सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ड्राई आई सिंड्रोम से बचाव के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
जानिए ड्राई आई सिंड्रोम से बचाव के उपाय
ड्राई आई की समस्या से राहत पाने के लिए लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव करना मददगार साबित हो सकता है।
आई ड्रॉप्स का करें इस्तेमाल
आप नियमित रूप से लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स या आर्टिफिशियल आंसू इस्तेमाल करना इस समस्या से बचने का सबसे आसान और अच्छा उपाय है।
अपनाएं 20-20-20 नियम
इस समस्या से बचने के लिए 20-20-20 नियम अपनाना चाहिए। यानी की हर 2 मिनट के बाद 20 फीट दूर देखना और लगातार 20 सेकेंड तक रुकें। इससे आंखों की पलक झपकने की आदत भी बनी रहती है।
नमी का रखें ध्यान
ड्राई आई सिंड्रोम होने पर एसी या पंखे की सीधी हवा से बचना चाहिए और कमरे मे पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए।
डाइट
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। अपनी डाइट में अखरोट और मछली, अलसी और आंसुओं की क्वालिटी सुधारने में सहायक है।
कॉन्टैक्ट लेंस
इसका लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और बीच-बीच में आंखों को आराम भी देना चाहिए।
बता दें कि ड्राई आई सिंड्रोम से सिर्फ परेशानी नहीं होती है, बल्कि यह कई तरह की समस्याओं की वजह भी बन सकती है। हालांकि इससे राहत पाने के लिए ड्राई आई सिंड्रोम की समय पर पहचान, आसान आदतों और डॉक्टर की सलाह अपनाना बेहद जरूरी है।
डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
