चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ चर्चा के लिए भारत आ सकते हैं। इस बैठक में विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। रिपोर्टों के अनुसार, इस यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन के तियानजिन शहर की यात्रा से पहले एक कूटनीतिक तैयारी के रूप में देखा जा रहा है, जो 2018 के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी।
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कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के बयानों ने भारत को ठेस पहुंचाई है और इससे भारत को अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो इसका मतलब भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव होगा। पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने एक बार कहा था-अमेरिका से दुश्मनी भारी होती है और दोस्ती जानलेवा। भारत के लिए चीन से संबंधों में सुधार अच्छा कदम है। विश्व के मानचित्र पर एक नजर डालें तो पता चल जाएगा कि रूस, चीन और भारत कितने बड़े देश हैं। ये अगर एक साथ हों, तो एक नए विश्व की संरचना संभव है।
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अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन के साथ व्यापार समझौते को 90 दिन के लिए और बढ़ा दिया, जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बीच एक बार फिर से होने वाला खतरनाक टकराव टल गया है। ये फैसला तब हुआ, जब अमेरिका भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ ये कहकर लगा चुका है कि भारत रूस से तेल खरीदता है, जबकि सबसे रूस का सबसे बड़ा खरीदार तो चीन ही है। चीन के साथ व्यापारिक समझौते की 90 दिन की पिछली समय सीमा मंगलवार रात 12 बजकर एक मिनट पर खत्म होने वाली थी। अगर ऐसा होता, तो अमेरिका चीन से होने वाले आयात पर पहले से जारी 30% के टैक्स को और बढ़ा सकता था और चीन अमेरिकी निर्यात पर जवाबी शुल्क बढ़ाकर इसका जवाब दे सकता था।
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इस समझौते की अवधि बढ़ाने से दोनों देशों को अपने कुछ मतभेदों को सुलझाने का समय मिल गया है, जिससे संभवतः इस साल के अंत में ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच शिखर सम्मेलन का रास्ता साफ हो गया है। वहीं, चीन के साथ व्यापार करने वाली अमेरिकी कंपनियों ने भी इसका स्वागत किया है।
