प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और आसियान नेता संयुक्त रूप से आसियान-भारत संबंधों में प्रगति की समीक्षा की और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने की पहलों पर चर्चा की। मंत्रालय ने कहा कि आसियान के साथ मज़बूत होते संबंध भारत की एक्ट ईस्ट नीति और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का एक प्रमुख स्तंभ हैं। आइये जानते है कि पीएम ने अपने संदेश में क्या क्या बड़ी बातें कहीं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते की शीघ्र समीक्षा की वकालत की। उन्होंने कहा कि अनिश्चितताओं के दौर में भारत-आसियान के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी वैश्विक स्थिरता और वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आधार के रूप में उभर रही है।
मोदी ने कुआलालंपुर में भारत-आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए आतंकवाद को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक ‘‘गंभीर चुनौती’’ बताया और इस खतरे से निपटने के वास्ते एकता के महत्व को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने 2026 को ‘‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’’ घोषित किया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समूह की अहमियत के प्रति भारत के मजबूत समर्थन की पुनः पुष्टि की। हिंद-प्रशांत एक ऐसा क्षेत्र है, जहां चीन की सैन्य आक्रामकता बढ़ रही है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘आसियान-भारत एफटीए (एआईटीआईजीए) की शीघ्र समीक्षा से हमारे लोगों के लाभ के लिए हमारे संबंधों की पूर्ण आर्थिक क्षमता का उपयोग हो सकता है तथा क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूत किया जा सकता है।’’
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने अपने संबोधन में कहा कि आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) में कुछ वास्तविक प्रगति हुई है और समूह इसे इस साल तक पूरा करना चाहता है। एआईटीआईजीए 15 वर्ष पहले लागू हुआ था।
मलेशिया इस समय समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में कुआलालंपुर में वार्षिक आसियान शिखर सम्मेलन और संबंधित बैठकों की मेजबानी कर रहा है।
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आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा, लचीली आपूर्ति शृंखला, पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्रों में अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने संबंधी पहलों पर चर्चा की।
दोनों पक्षों ने सतत पर्यटन पर एक वक्तव्य भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि पर्यटन आसियान और भारत दोनों के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रेरकों में से एक बन गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी (2026 और 2030) को क्रियान्वित करने के लिए आसियान-भारत कार्य योजना के कार्यान्वयन के संबंध में समर्थन व्यक्त किया।
मोदी ने सुरक्षित समुद्री वातावरण के लिए दूसरी आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की बैठक और दूसरा आसियान-भारत समुद्री अभ्यास आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा कि भारत पड़ोस में संकट के समय में पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में अपनी भूमिका जारी रखेगा और आपदा की तैयारी में सहयोग को और मजबूत करेगा।
मोदी ने यह भी घोषणा की कि आसियान पावर ग्रिड पहल का समर्थन करने के लिए भारत नवीकरणीय ऊर्जा में 400 पेशेवरों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
यह भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की 12वीं भागीदारी थी। अपने संबोधन में मोदी ने तिमोर-लेस्ते को आसियान का 11वां सदस्य बनने पर बधाई दी।
यह समूह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक प्रमुख स्तंभ है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘भारत ने हमेशा ‘आसियान केंद्रीयता’ और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर आसियान के नजरिये का पूरा समर्थन किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अनिश्चितता के इस दौर में भी, भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी ने लगातार प्रगति की है। हमारी मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली आधार के रूप में उभर रही है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर संकट में ‘‘अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है’’ और समुद्री सुरक्षा तथा नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके मद्देजनर ‘‘हम 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष घोषित कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को भी तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। हम अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।’’
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘भारत और आसियान मिलकर दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम न केवल भौगोलिक रूप से समान हैं, बल्कि गहरे ऐतिहासिक संबंधों और साझा मूल्यों से भी बंधे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘ग्लोबल साउथ’ में साथी हैं। हम न केवल वाणिज्यिक साझेदार हैं, बल्कि सांस्कृतिक साझेदार भी हैं। आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का आधार है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी हमारी सदी है। भारत और आसियान की सदी है। मुझे विश्वास है कि आसियान समुदाय का ‘विजन 2045’ और ‘विकसित भारत 2047’ का लक्ष्य पूरी मानवता के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि आसियान शिखर सम्मेलन का विषय ‘‘समावेशन और स्थिरता’’ संयुक्त प्रयासों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है, चाहे वह डिजिटल समावेशन हो या वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के बीच खाद्य सुरक्षा और लचीली आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘भारत इन प्राथमिकताओं का पूर्ण समर्थन करता है और इन्हें मिलकर आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत), समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में हमारा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।’’
आसियान को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद साझेदार हैं।
आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए, जो दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर सम्मेलन स्तर की साझेदारी में परिवर्तित हो गए। ये संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक पहुंच गए।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार और निवेश के साथ ही सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।
News Source – PTI Information
