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एनबीसी न्यूज के एक कार्यक्रम में मीट द प्रेस में जेडी वेंस ने कहा कि इन कदमों का मकसद रूस की तेल व्यवस्था से होने वाली आमदनी को कम करना है ताकी वो युद्ध को जारी न रख सके। जेडी वेंस ने भरोसा जताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया मुलाकात के बाद पैदा हुई संभावित अड़चनों के बावजूद अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
अमेरिका रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर लगातार दबाव बना रहा है। अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया। ताकी वो भारत रूस के व्यापार को रोक सके। अमेरिका ये नैरेटिव सेट करना चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और ऐसा करके वो यूक्रेन के खिलाफ रूस को फंड कर रहा है।अमेरिका की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। अब इसे लेकर अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का एक बड़ा बयान सामने आया है। एनबीसी न्यूज के एक कार्यक्रम में मीट द प्रेस में जेडी वेंस ने कहा कि इन कदमों का मकसद रूस की तेल व्यवस्था से होने वाली आमदनी को कम करना है ताकी वो युद्ध को जारी न रख सके। जेडी वेंस ने भरोसा जताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया मुलाकात के बाद पैदा हुई संभावित अड़चनों के बावजूद अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
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जब जेडी वेंस से ये सवाल पूछा गया कि अगर अमेरिका नए प्रतबिंध नहीं लगा रहा तो रूस पर कैसे दबाव बनेगा? पुतिन को जेलेंस्की के साथ बातचीत की मेज पर कैसे लाया जाएगा और उन्हें हमले रोकने के लिए कैसे राजी करेंगे। इस पर जेडी वेंस ने कहा कि ट्रंप ने रूस पर बड़ा आर्थिक दबाव बनाया है। उदाहरण के लिए भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाकर रूस से तेल से कमाई को मुश्किल किया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने ये संदेश देने की कोशिश की कि अगर ट्रंप हमले रोक दे तो उसे फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल किया जा सकता है। लेकिन हमले जारी रहे तो उसे अलग थलग रहना पड़ेगा। ट्रंप प्रशासन लगातार भारत के रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर तमाम तरह के बयान दे रहा है।
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भारत पर दबाव बना रहा है। जबकि चीन जो कि रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है उस पर अमेरिका ने चुप्पी साधी हुई है। यहां तक की यूरोप भी रूस से व्यापार कर रहा है। उस पर चुप्पी साध रखी है और अमेरिका के इसी दोहरे रवैये पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ये बात कही कि ये अजीब है कि खुद को व्यापार समर्थक समझने वाला ट्रंप प्रशासन दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहा है। कोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम 2025 में ट्रंप प्रशासन के हालिया आरोपों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। उन्होंने आगे कहा कि यह हास्यास्पद है कि एक व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लिए काम करने वाले लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। लोग आपस में बात करते हैं। ऐसा नहीं है कि वहाँ कोई ‘कुट्टी’ है… जहाँ तक हमारा सवाल है, रेड लाइन मुख्य रूप से हमारे किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हितों से जुड़ी हैं।
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एस जयशंकर ने कहा कि हम एक सरकार के रूप में अपने किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इस पर पूरी तरह दृढ़ हैं। यह ऐसी बात नहीं है जिस पर हम समझौता कर सकें। विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि रूसी तेल खरीदने वाला भारत अकेला नहीं है। चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के भी ऐसे ही संबंध हैं, जिन पर ऐसे दंड नहीं लगे हैं। जयशंकर ने तर्क दिया कि अमेरिका एक चयनात्मक और पक्षपातपूर्ण नीति अपना रहा है, और कहा कि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ है, फिर भी उसे ऐसी व्यापारिक कार्रवाइयों का सामना नहीं करना पड़ा है। उन्होंने पूछा कि हम सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं। दूसरे भी ऐसा कर रहे हैं। तो फिर हम ही क्यों?
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