किसी भी देश की राजधानी देश के आतंरिक हालात का मापदंड हो सकती है। राजधानी की हालत देख कर बाकी देश के विकास की तस्वीर का अंदाजा लगाया जा सकता है।राजधानी दिल्ली की सूरत—सीरत से पता लगाया जा सकता है शेष भारत के क्या हालात हैं। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि हर तरह के प्रदूषण के लिहाज से दिल्ली नरक बन चुकी है। दिल्ली की हवा, पानी—मिट्टी सब प्रदूषित हो चुकी है। प्रदूषण का स्तर भी भयावह हो चुका है। स्विट्जरलैंड की एयर क्वालिटी फर्म आईक्यूएआइआर की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की हवा दिवाली के बाद तेजी से खराब हुई। पटाखों का धुआँ, वाहनों के धुएँ, निर्माण कार्य और पराली जलाने से हवा में जहरीले कण घुल गए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक दीपावली पर दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी थी और समय-सारिणी तय की थी। दिल्ली-एनसीआर के शहरों में पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जमकर धज्जियां उड़ीं। सुप्रीम कोर्ट ने रात आठ बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, लेकिन लोगों ने आधी रात के बाद तक भी जमकर पटाखे फोड़े, जिसके चलते हवा को दमघोंटू बना दिया।
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दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियां अब आपातकालीन कदमों पर विचार कर रही हैं, जिनमें स्कूल बंद करना, निर्माण कार्य रोकना और वाहनों के उपयोग को सीमित करना शामिल हो सकता है। दिल्ली के लोग वायु प्रदूषण के कारण कई बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनमें सांस की बीमारियां (अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, निमोनिया), हृदय रोग (हार्ट अटैक, स्ट्रोक), और जोड़ों की समस्याएं (गठिया) शामिल हैं। प्रदूषण से फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी आ रही है और जीवन प्रत्याशा भी कम हो रही है। पहले माना जाता था कि वायु प्रदूषण सिर्फ सांस की बीमारियों का कारण बनता है, लेकिन अब विशेषज्ञों ने यह साफ कर दिया है कि पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म प्रदूषक शरीर के अंदर सूजन पैदा करके हड्डियों और जोड़ों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के रीयल-टाइम आंकड़ों से पता चला है पटाखों के कारण दिल्ली के 26 सक्रिय ध्वनि निगरानी केंद्रों में से 23 ने तय सीमा से ज़्यादा शोर दर्ज किया, जो पिछले साल 22 केंद्रों और 2023 में 13 केंद्रों से ज़्यादा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 2022 के आदेश में प्राधिकारों को निर्देश दिया था कि वे ध्वनि प्रदूषण को वायु प्रदूषण के समान मानें तथा यह सुनिश्चित करें कि दोनों पर काबू के लिए उपायों को एक साथ लागू किया जाए। इसके बावजूद इस बार दीपावली पर सबसे तेज़ पटाखे रात 9 बजे से 11 बजे के बीच फोड़ने की आवाज़ दर्ज की गई। कई इलाकों में आधी रात के बाद भी उच्च स्तर दर्ज किए गए। शांत क्षेत्र भी तेज आवाज के शिकार हुए।
वायु प्रदूषण लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। लैंसेट की वर्ष 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हर साल होने वाली मौतों में से करीब 11.5 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण की वजह से हो रही हैं। यह स्टडी देश के 10 बड़े शहरों में की गई थी। इसमें पता चला है कि अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में हर साल औसतन 33,000 से ज्यादा मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। दिल्ली की हवा ही नहीं पानी भी प्रदूषित हो चुका है। प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि यमुना नदी में बैक्टीरिया लेवल 4000 गुना ज्यादा हो गया है। इस बार की रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि नदी की हालत साल दर साल गंभीर होती जा रही है। हालांकि फरवरी 2025 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था।
दिल्ली-एनसीआर की मिट्टी लगातार प्रदूषण और शहरीकरण की मार झेलते हुए बंजर होती जा रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशन (आईआईएसडब्ल्यूसी), देहरादून की रिपोर्ट में खुलासा किया था कि कई जिलों की जमीन की उर्वरता और गुणवत्ता मान्य स्तर से नीचे गिर चुकी है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि हालात नहीं सुधरे तो अगले 10 से 15 वर्षों में क्षेत्र का बड़ा हिस्सा कृषि योग्य नहीं रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार गाजियाबाद के औद्योगिक इलाकों की मिट्टी में शीशा 180 मिलीग्राम प्रति किलो पाया गया, जबकि सुरक्षित सीमा 50 मिलीग्राम है। मिट्टी का जैविक कार्बन कंटेंट पिछले 15 वर्षों में 0.75 से घटकर 0.45% पर आ गया है।
24 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में अपशिष्ट पृथक्करण की दयनीय स्थिति पर केंद्र और कई राज्य प्राधिकारियों को फटकार लगाई। न्यायालय ने सभी एनसीआर राज्यों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रयासों पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि कार्रवाई न करने पर निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद दिल्ली—एनसीआर के हालात सुधरने के बजाए ओर बिगड़ते चले गए। देश की राजधानी को मुस्लिम विदेशी आक्रांतओं ने हर बार लूटा था। आजादी के बाद दिल्ली देश के नीति—नियंताओं लूट—खसौट का शिकार हो चुकी है। दिल्ली किसी भी दृष्टिकोण से जीने लायक नहीं रह गई। नेता और राजनीतिक दलों की वोट बैंक की राजनीति ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया है। नेता जब तक क्षुद्र स्वार्थों से हट कर नहीं सोचेंगे तब तक दिल्ली के हालात में सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आती।
– योगेन्द्र योगी
(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
