तमिलनाडु की राजनीति में आज तब नया मोड़ आता दिखा जब मशहूर अभिनेता विजय की पार्टी Tamilaga Vettri Kazhagam (टीवीके) का मदुरै में सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन ने न केवल भीड़ के आकार बल्कि संदेश की धार से भी राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है। हम आपको बता दें कि मदुरै के परापट्टी क्षेत्र में हुए इस आयोजन में अनुमानतः डेढ़ लाख से अधिक समर्थक जुटे। विशाल मंच, चिकित्सा व सुरक्षा प्रबंध, पानी और भोजन की व्यवस्था— सब कुछ उस पैमाने पर किया गया जिसने टीवीके को “फैन क्लब” से “व्यवस्थित संगठन” में बदलते हुए दिखाया। राजनीति में रैलियों की भीड़ हमेशा वोटों में नहीं बदलती, परंतु इतनी बड़ी संख्या में लोगों का अनुशासित जुटान यह संकेत देता है कि विजय की लोकप्रियता अब सिर्फ़ पर्दे तक सीमित नहीं रही।
विजय का भाषण संक्षिप्त मगर धारदार था। उन्होंने कहा— “जंगल में अनेक जानवर होते हैं, पर शेर एक ही होता है”। यह रूपक सीधा-सीधा उन्हें “वैकल्पिक नेतृत्व” के रूप में प्रस्तुत करता है। उनका जोर अनुशासन, सुरक्षा और भ्रष्टाचार-विरोधी राजनीति पर था। हम आपको बता दें कि सम्मेलन मंच पर जब विजय आए, तो विशेष स्वागत गीत बजाकर उनका अभिनंदन किया गया। गीत की शुरुआत इन पंक्तियों से होती है– “जनता के राजा… स्नेह से भरे बड़े भाई… उत्सव के वीर, पेरियार के वंशज…” और आगे विजय खुद गाते हैं– “आपका विजय… आपका विजय, प्राण बनकर आया हूँ मैं।” इस गीत को सुनते ही वहाँ उपस्थित जनसमूह गगनभेदी शोर करने लगा। इसी गीत की पृष्ठभूमि में विजय ने सम्मेलन मंच पर रैम्प वॉक करते हुए अपनी लोकप्रियता का जलवा भी दिखाया। इसके अलावा, पार्टी के अन्य पदाधिकारियों तथा विजय के भाषण पर गौर करें तो संदेश साफ़ है कि टीवीके किसी बड़े दल से समझौता नहीं करेगी और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खुद विजय ही सामने होंगे। यह पोज़िशनिंग उन्हें डीएमके और एआईएडीएमके जैसे पारंपरिक दिग्गजों से अलग करती है।
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हम आपको बता दें कि टीवीके पार्टी ने पिछले एक वर्ष में बूथ-स्तरीय विस्तार, महिला भागीदारी और युवाओं को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया है। विजय ने अपने भाषण में भी महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं की आकांक्षाओं को केंद्र में रखा। यदि टीवीके अपने फैन-बेस को चुनावी कैडर में बदलने में सफल होती है, तो राज्य की चुनावी गणित में बड़ा बदलाव संभव है।
हम आपको बता दें कि युवा मतदाताओं के बीच रोजगार, शिक्षा और खासकर NEET परीक्षा का मुद्दा विजय की पकड़ मजबूत करता है। वहीं उनकी पार्टी जिस तरह लगातार महिला सुरक्षा को प्राथमिकता बता रही है, उससे उन्हें बड़ी संख्या में महिलाओं का समर्थन भी मिल सकता है। साथ ही एंटी डीएमके वोट उनके पाले में जा सकता है यदि एआईएडीएमके और बीजेपी का समीकरण कमजोर पड़ता है। तमिलनाडु के चुनावी समीकरण को देखें तो डीएमके अपने संगठित कैडर और वेलफेयर योजनाओं के बल पर अब भी सबसे मज़बूत खिलाड़ी है। वहीं विपक्षी एआईएडीएमके व एनडीए का भविष्य अनिश्चित है; यदि टीवीके अलग लड़ती है तो एंटी-डीएमके वोटों का बिखराव डीएमके को लाभ पहुँचा सकता है। इसके अलावा, अन्य दल (NTK, MNM आदि) शहरी और मुद्दावादी वोटों में हल्की सेंध लगा सकते हैं, मगर टीवीके का प्रभाव अधिक व्यापक दिखाई देता है।
आज टीवीके के सम्मेलन की भीड़ देखने के बाद तीन संभावित परिदृश्य उभर कर आ रहे हैं। पहला- यदि टीवीके 30% से अधिक वोट जुटा लेती है तो 60–90 सीटों के साथ विपक्ष का मुख्य चेहरा बन सकती है। दूसरा- 20–25% वोट हासिल होने पर 25–50 सीटों की संभावना; तब गठबंधन राजनीति में उसकी भूमिका अहम होगी। तीसरा- यदि वोट 10–15% तक सीमित रहा, तो सीटें कम आएँगी लेकिन एंटी-डीएमके वोट विभाजित होकर डीएमके को फायदा देंगे।
टीवीके के सामने खड़ी चुनौतियों को देखें तो उसे भीड़ को बूथ स्तर के वोट में बदलना होगा, डीएमके के वेलफेयर मॉडल के मुक़ाबले ठोस और व्यावहारिक घोषणापत्र पेश करना होगा तथा गठबंधन न करने की रणनीति को लेकर अंत तक टिके रहना या चुनावी गणित के दबाव में बदलना होगा।
बहरहाल, टीवीके के मदुरै सम्मेलन ने यह साफ़ कर दिया कि पार्टी अब “फुटनोट” नहीं बल्कि “फैक्टर” है। विजय की स्टार पावर और साफ़-सुथरी राजनीति की छवि ने जनता में उम्मीद जगाई है। अगर पार्टी संगठनात्मक कसौटी पर खरी उतरती है और युवाओं-महिलाओं की आकांक्षाओं को ठोस नीतिगत प्रस्तावों से जोड़ती है, तो 2026 विधानसभा चुनाव तमिलनाडु की परंपरागत द्विध्रुवीय राजनीति को बदलते हुए दिख सकते हैं।