चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दोनों देश 2020 में सीमा पर हिंसक झड़पों के बाद संबंधों में आए तनाव को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में चीनी विदेश मंकत्री की इस यात्रा को संबंधों को पटरी पर लाने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बातचीत का रुख तय करते हुए कहा कि हमारे संबंधों में एक कठिन दौर देखने के बाद… हमारे दोनों देश अब आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमारे संबंधों में किसी भी सकारात्मक गति का आधार सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति और सौहार्द बनाए रखने की क्षमता है। यह भी ज़रूरी है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया आगे बढ़े। उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछली मुलाक़ात के दस महीने बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य बुनियादी ढाँचे को हटाने और पीछे हटने का काम अधूरा है।
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जयशंकर वांग यी के बीच हुई मीटिंग
इससे पहले वांग यी की भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संग बैठक हुई। भारत दौरे पर आए जिनपिंग के मंत्री वांग यी और डॉ. जयशंकर के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई है। इस दौरान बैठक में एनएसए अजित डोभाल भी मौजूद रहे हैं। भारत और चीन के रिश्ते काफी वक्त से खटास में पड़े हुए थे वो अब सुधरने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि चीन ने भारत के साथ एक ऐसे मद्दे पर डील करने की बात कही है, जिससे डोनाल्ड ट्रंप के पसीने छूट जाएंगे। ट्रंप जो कोशिश में लगे थे वो तार तार हो जाएगी। बैठक में वांग ने जयशंकर से कहा कि चीन-भारत संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 75 साल पूरे हुए हैं और अतीत से सबक सीखा जा सकता है। उनका यह बयान पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय में संबंधों में आई दरार की ओर स्पष्ट संकेत था।
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एसएसए डोभाल से भी की मुलाकात
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच भी बैठक हुई। बैठक में अजीत डोभाल ने कहा कि कजान बैठक भारत-चीन संबंधों के सुधार और विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इससे आपसी समझ में सकारात्मक बदलाव आए हैं, सीमा क्षेत्र में शांति और सौहार्द है और द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति हासिल हुई है। वर्तमान अशांत अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के बीच, भारत और चीन कई साझा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आपसी समझ को बढ़ाना, विश्वास को गहरा करना और सहयोग को मजबूत करना आवश्यक है, क्योंकि यह दोनों देशों के लोगों की भलाई और विश्व शांति एवं विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
क्यों वांग यी की यात्रा है अहम
गलवान के बाद दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ गए थे, उसे पटरी पर वापस लाने के लिए नई दिल्ली और बीजिंग, दोनों ने काफी मेहनत की है। सीमा पर तनाव पहले से कम हुआ है, लेकिन दोनों ओर की सेनाएं अभी भी आमने-सामने तैनात हैं। अच्छी बात यह है कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। चीनी विदेश मंत्री उसी सिलसिले को आगे बढ़ाने भारत आए हैं। हालांकि अमेरिका की वजह से इसे नया आयाम भी मिला है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में भारत और चीन, दोनों को ही टारगेट किया है।