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चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि एक स्वस्थ और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों देशों के मूलभूत और दीर्घकालिक हितों की पूर्ति करता है। बातचीत में महत्वपूर्ण खनिजों के मुद्दे सहित आर्थिक संबंधों पर भी चर्चा हुई।
सीमा विवाद पर बातचीत के लिए भारतीय और चीनी अधिकारियों ने नई दिल्ली में मुलाकात की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए निर्धारित चीन यात्रा से पहले द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बातचीत आपसी विश्वास के पुनर्निर्माण, असहमतियों के प्रबंधन और सीमाओं को स्थिर करने पर केंद्रित रही। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि एक स्वस्थ और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों देशों के मूलभूत और दीर्घकालिक हितों की पूर्ति करता है। बातचीत में महत्वपूर्ण खनिजों के मुद्दे सहित आर्थिक संबंधों पर भी चर्चा हुई।
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दोनों पक्ष विशेष प्रतिनिधि वार्ता के 23वें दौर और पिछले अक्टूबर में कज़ान में अपने नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान बनी सहमति को और मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि भारत-चीन संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। यी ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं बल्कि साझेदार के रूप में देखना चाहिए। आधिकारिक मीडिया ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
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वांग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की। उनकी यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की प्रस्तावित यात्रा से पहले हुई है। बैठक में वांग ने जयशंकर से कहा कि चीन-भारत संबंध में सहयोग की ओर लौटने की दिशा में सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के 75 साल पूरे हुए हैं और अतीत से सबक सीखा जा सकता है। उनका यह बयान पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय में संबंधों में आई दरार की ओर स्पष्ट संकेत था।
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