अलास्का में हुई ऐतिहासिक मुलाकात में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि अगर 2022 में डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन में युद्ध कभी शुरू नहीं होता। यह बात उन्होंने पांच साल बाद ट्रंप के साथ हुई अपनी पहली आमने-सामने की बैठक में कही।
जब पुतिन से ट्रंप के उस दावे के बारे में पूछा गया, जिसमें वे कहते हैं कि उनकी मौजूदगी रूस को यूक्रेन पर हमला करने से रोक सकती थी, तो पुतिन ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘मैं इसकी पुष्टि कर सकता हूं।’ दोनों नेताओं के बीच यह शिखर सम्मेलन अलास्का में हुआ, जिसे पुतिन ने ‘हमारे देशों के साझा इतिहास को देखते हुए एक तार्किक जगह’ बताया। दोनों पक्षों ने इस बातचीत को रचनात्मक कहा।
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पुतिन ने इस बात पर जोर दिया कि एक ‘बेहद कठिन दौर’ से गुजरने के बाद अब मास्को और वाशिंगटन के बीच ‘बहुत अच्छे सीधे संपर्क’ स्थापित हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘स्थिति को सुधारना जरूरी था। हम हमेशा याद रखेंगे कि हमारे देशों ने कैसे साझा दुश्मनों से मिलकर लडाई लडी थी। यह विरासत भविष्य में हमारी मदद करेगी।’
हालांकि, लगभग तीन घंटे तक चली इस उच्च-स्तरीय बैठक के बाद भी, यूक्रेन में जारी युद्ध को खत्म करने या रोकने पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। यह युद्ध, जो अब अपने चौथे वर्ष में है, 1945 के बाद से यूरोप का सबसे घातक संघर्ष बन गया है।
पुतिन ने बताया कि यूक्रेन इस बैठक का मुख्य विषय था। उन्होंने ट्रंप की ‘संघर्ष के सार को समझने की इच्छा’ की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस की ‘सच्ची रुचि’ शांति स्थापित करने में है, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए ‘सभी मूल कारणों को समाप्त किया जाना चाहिए और रूस की सभी चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।’ पुतिन ने ट्रंप के इस विचार से भी सहमति जताई कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए, और उम्मीद जताई कि आपसी समझ से यूक्रेन में शांति आ सकती है।
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बातचीत के बाद, दोनों नेता संक्षिप्त रूप से मीडिया के सामने आए। बैकग्राउंड में ‘शांति की तलाश’ लिखा हुआ था। ट्रंप ने कहा, ‘कई बिंदुओं पर हम सहमत थे। कुछ बडे बिंदुओं का पूरी तरह से समाधान नहीं हुआ है, लेकिन हमने प्रगति की है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘जब तक कोई समझौता नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं होता।’
शिखर सम्मेलन के अंत में, पुतिन ने ट्रंप से कहा, ‘अगली बार मॉस्को में।’ जिस पर ट्रंप ने जवाब दिया, ‘ओह, यह तो दिलचस्प है। इस पर मुझे थोडी आलोचना झेलनी पडेगी, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा हो सकता है।’ यह बैठक, भले ही किसी बडे समझौते पर नहीं पहुंची, लेकिन यह दर्शाती है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने और यूक्रेन जैसे जटिल मुद्दों पर बातचीत करने का रास्ता खुला है।