एक चेतावनी जिसने पाकिस्तान की नींव हिला दी है। बता दिया कि पाकिस्तान चाहे जो करे अफगानिस्तान उसकी औकात याद दिलाएगा। औ अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला साले का बड़ा बयान सामने आ गया है। उन्होंने कहा है कि तालिबान लाहौर में बम धमाका कर सकता है और यह कोई झूठ नहीं है। लेकिन सवाल यहां पर उठता है ना कि क्या तालिबान सच में पाकिस्तान के भीतर हमला करने की योजना बना रहा है और अगर ऐसा होता है यानी कि हां तो क्या ये वही पल है जब पाकिस्तान अपने बनाए आतंक के खेल का शिकार बन जाएगा। चलिए आज की खबर सिर्फ अफगानिस्तान और पाकिस्तान की नहीं रही। यह खबर है उस आग की जिसे दशकों पहले जलाया गया था और आज वो लौ लाहौर की ओर आगे बढ़ने लगी है। दरअसल अमरुल्ला सालेह अफगानिस्तान के वो नेता जो हमेशा से तालिबान के सबसे मुखर आलोचक रहे।
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अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर तालिबान के हालिया बयानों को लेकर चेतावनी जारी की है, जिसमें लाहौर में सफ़ेद झंडा फहराने और इस्लामाबाद में आग लगाने की धमकी दी गई है। उन्होंने ऐसी धमकियों को गंभीरता से लेने का आग्रह किया है। अपने संदेश में सालेह ने ज़ोर देकर कहा कि तालिबान ने पाकिस्तानी क्षेत्र में बम विस्फोट और विस्फोटक हमले करने की खुलेआम बात की है। उनके अनुसार यह कदम महज़ दिखावा मात्र नहीं है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने बड़े पैमाने पर शहरी हमले करने में अपनी क्षमता और अनुभव का बार-बार प्रदर्शन किया है। सालेह ने 2017 के काबुल बम विस्फोट का उदाहरण दिया, जिसमें राजधानी के 700 से ज़्यादा निवासी मारे गए या घायल हुए थे। यह घटना अफ़ग़ानिस्तान के हाल के इतिहास की सबसे घातक सुरक्षा घटनाओं में से एक है। उन्होंने आगे कहा कि तालिबान पाकिस्तानी क्षेत्र और स्थानीय संरचनाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव बनाए हुए है। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई को यह समझना चाहिए कि उसके कुछ प्रशिक्षित कार्यकर्ता अब कट्टरपंथी और अप्रत्याशित तत्व बन गए हैं। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा संचालित प्रशासन और पाकिस्तानी सरकार के बीच तनाव बढ़ रहा है और क्षेत्रीय अस्थिरता और सुरक्षा खतरों को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
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एक वक्त था जब वह अफगान खुफिया एजेंसी एनडीएस के प्रमुख थे। उन्होंने तालीबान और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों को दुनिया के सामने बेनकाब भी किया था और यह पल था 2021 का। 2021 में जब तालीबान ने काबुल पर कब्जा किया साले पंशीर घाटी चले गए। उन्होंने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया अफगानिस्तान का और आखिरी सांस तक तालीबान से लड़ने का ऐलान कर दिया। उनके लिए तालीबान सिर्फ एक आतंकी संगठन नहीं बल्कि पाकिस्तान की बनाई एक परियोजना है। और अब जब वो कहते हैं कि तालिबान लाहौर में धमाका करेगा तो यह बयान सिर्फ चेतावनी नहीं बल्कि एक संकेत है कि दक्षिण एशिया का पावर बैलेंस बदल रहा है।
हाल ही में अफगान ग्रीन ट्रेंड नाम के एक प्लेटफार्म ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक तालीबान के कुछ धड़ों ने पाकिस्तान के लाहौर शहर में हमले की तैयारी की बात कह दी है और यह काफी बड़ी बात है और फिर साले ने इस रिपोर्ट को शेयर करते हुए लिखा कि यह कोई ब्लफ नहीं है। तालिबान ऐसा कर सकता है। साल 2017 में काबुल में उन्होंने ऐसा किया था जब 700 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उन्होंने व्यंग में लिखा कि आईएसआई के प्रशिक्षकों को अब यह देखना चाहिए कि उनका कौन सा चेला भटक गया है। यानी साले ने खुलकर कह दिया है कि पाकिस्तान ने जिस तालिबान को कभी ट्रेनिंग दी थी वही अब पाकिस्तान को उसके ही हथियारों से सबक सिखाने लाहौर की तरफ आ रहा है।
