ANI
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनके तहत प्रधानमंत्री और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहने पर पद से हटाया जा सकेगा। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी इच्छा से किसी को भी हटा सकता था, या अगर उसे किसी का चेहरा पसंद नहीं आता था, तो वह उसे गिरफ्तार करने के लिए ईडी से कह सकता था, और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर बाहर निकाला जा सकता था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को तीन विवादास्पद विधेयकों को पेश किए जाने की निंदा की, जिनमें गंभीर आरोपों में 30 दिन जेल में बिताने के बाद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि यह कदम देश को मध्ययुगीन काल में ले जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनके तहत प्रधानमंत्री और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहने पर पद से हटाया जा सकेगा। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी इच्छा से किसी को भी हटा सकता था, या अगर उसे किसी का चेहरा पसंद नहीं आता था, तो वह उसे गिरफ्तार करने के लिए ईडी से कह सकता था, और लोकतांत्रिक रूप से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर बाहर निकाला जा सकता था।
इसे भी पढ़ें: बिहार के बाद अब पूरा देश लड़ेगा! राहुल गांधी का चुनाव चोरी पर हल्ला बोल
आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए गए और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किए गए जिन्हें सदन ने अध्ययन के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच सदन में ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए।
इसे भी पढ़ें: वह तीन बार से पीएम बन रहे है, कोई वैकेंसी नहीं, राहुल को लेकर तेजस्वी के बयान पर JDU का तंज
बाद में उनके प्रस्ताव पर सदन ने तीनों विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया। विधेयकों के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि कोई मंत्री जो गंभीर दंडनीय अपराधों के आरोप का सामना कर रहा है, उसे गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है तो वह संवैधानिक नैतिकता के मापदंडों तथा सुशासन के सिद्धांतों को विफल कर सकता है या उनमें बाधा डाल सकता है और अंतत: लोगों द्वारा उसमें जताए गए विश्वास को कम कर सकता है। इसके अनुसार ऐसे मंत्री को हटाए जाने के लिए संविधान के अधीन कोई उपबंध नहीं है जो गंभीर दंडनीय आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जाता है।
अन्य न्यूज़