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प्रेमचंद की पत्रकारिता के विविध पक्षों पर वेबिनार


प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक जर्नल म्युनिकेशन टुडे 30 जुलाई ,2023 को 89 वीं वेबिनार में प्रेमचंद की पत्रकारिता के विविध पक्षों पर व्यापक चर्चा की गई। वेबिनार में वक्ताओं ने उर्दू पत्र-पत्रिकाओं में प्रेमचंद के लेखन के माध्यम से प्रारंभ की गई पत्रकारिता के विविध पक्षों से लेकर हंस, जागरण, मर्यादा आदि पत्रिकाओं के संदर्भ में उनकी पत्रकारिता के विविध संदर्भों पर विचार प्रकट किए गए।

वेबिनार को संबोधित करते हुए काशी विद्यापीठ, वाराणसी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ अनिल उपाध्याय ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने प्रगतिशील विचारधारा के आधार पर तत्कालीन समाज को अपने पत्रकारीय लेखन के माध्यम से आस्था की रोशनी दिखाते हुए भारतीय साहित्य एवं संस्कृति की रक्षा की। डॉ उपाध्याय ने प्रेमचंद को श्रेष्ठ संचारक बताते हुए उन्हें मानवतावाद की प्रतिष्ठा का नायक बताया। उनका मानना था कि प्रेमचंद न सिर्फ उपन्यास सम्राट थे बल्कि वे तो अपने पाठकों के भी ह्रदय सम्राट थे। प्रेमचंद उस दौर की मूक जनता की व्यथा और पीड़ा को वाणी देने वाले प्रखर पत्रकार थे।

प्रेमचंद की वंश परंपरा से जुड़े लमही गांव के डॉ दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि प्रेमचंद ने रूढ़िवादी मान्यताओं, भ्रष्टाचार व सांप्रदायिकत के खिलाफ अपने प्रखर लेखन के माध्यम से पत्रकारिता के स्वर्णिम काल की शुरुआत की । उन्होंने कहा कि राजा रानी की काल्पनिक कहानियों के दौर में प्रेमचंद ने मनोवैज्ञानिक के रूप में अपने लेखन के माध्यम से आम आदमी की संवेदनाओं को सूक्ष्मता से देखा और समझा है।

श्री दिगंबर जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, जयपुर में हिंदी व्याख्याता कविना सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने वत्सल भाव से अपनी पत्रिकाओं को पाला था । उन्होंने प्रखरता के साथ पराधीन भारत की समस्याओं पर अपनी टिप्पणियां करते हुए सरल सहज भाषा में आम आदमी को जागरूक किया। उनका कहना था कि प्रेमचंद साहित्यकार पत्रकार के रूप में आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितना आजादी के पूर्व थे।

विषय प्रवर्तन प्रवर्तन करते हुए कम्युनिकेशन टुडे के संपादक एवं राजस्थान विश्वविद्यालय , जयपुर के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भनावत ने कहा कि प्रेमचंद ने एक सदी पहले पत्रकारिता के माध्यम से स्वदेशी के समर्थन में तथा सांप्रदायिकता व साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ पत्रकारिता के माध्यम से जनचेतना जागृत करने वाले कलम के सिपाही के रूप में व्यापक सामाजिक सरोकारों को उठाया। उनका मानना था कि जो कार्य राजनीति में गांधी ने किया वही साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से प्रेमचंद ने किया।
तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी , मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला।
वेबिनार में हरियाणा के जिला झज्जर से डॉ दयानंद कादियान, महाराष्ट्र के पूना से जय वीर सिंह वर्धा से उमेश शर्मा आदि ने भी विचार प्रकट किए। वेबिनार में देश-विदेश के 280 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया।

 

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