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डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रति कठोर टैरिफ नीतियों को लेकर अमेरिकी राजनीति में एक अभूतपूर्व द्विदलीय चिंता बढ़ रही है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही नेता, जिनमें निक्की हेली जैसी प्रमुख हस्तियां शामिल हैं, ट्रंप को चेतावनी दे रहे हैं कि उनके “टैरिफ टैंट्रम” से अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार भारत, चीन के करीब जा सकता है। यह चिंता इस बात पर केंद्रित है कि भारत को अलग-थलग करने से चीन को फायदा होगा, जिससे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों को खतरा पैदा हो सकता है।
ट्रंप की नीतियों के पीछे भारत द्वारा रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना एक मुख्य कारण है, जिसके चलते भारत पर 50% तक का आयात शुल्क लगाया गया है। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह एकतरफा कार्रवाई है, क्योंकि चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है, फिर भी उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। पूर्व अमेरिकी राजनयिक जेफरी पायट जैसे विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत के साथ मजबूत साझेदारी आवश्यक है।
ट्रंप की नीतियों का सीधा असर दिखना शुरू हो गया है। टैरिफ के जवाब में भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार हो रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमा व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। यह कदम अमेरिकी टैरिफ से होने वाले 3-5 बिलियन डॉलर के नुकसान की भरपाई करने में भारत की मदद कर सकता है। अंत में, लेख यह सवाल उठाता है कि क्या ट्रंप अपने ही देश के नेताओं की चेतावनियों पर ध्यान देंगे या भारत के साथ तनाव जारी रखेंगे।