भारत ने अपनी सामरिक सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए बुधवार को मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से ‘अग्नि-5’ का परीक्षण किया गया और यह मिसाइल सभी परिचालन एवं तकनीकी मापदंडों पर खरी उतरी। बयान के मुताबिक, ‘‘मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का 20 अगस्त को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘परीक्षण में मिसाइल सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों पर खरी उतरी। यह परीक्षण सामरिक बल कमान के तत्वावधान में किया गया।’’ रक्षा सूत्रों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 11 मार्च 2024 को इसी परीक्षण रेंज से मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक का इस्तेमाल करके ‘अग्नि-5’ का सफल परीक्षण किया था।
सूत्रों के अनुसार, विभिन्न दूरमापी और रडार केंद्रों से इस पूरे परीक्षण पर नजर रखी गई और यह मिसाइल सभी निर्धारित मापदंडों पर खरी उतरी। भारत ने पहली बार ‘अग्नि-5’ मिसाइल का सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से किया था। तब इस मिसाइल को हिंद महासागर में एक निर्दिष्ट बिंदु पर प्रक्षेपित किया था। यह मिसाइल अधिकतम 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा सकती है और करीब 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है।
अग्नि-5 मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई है और यह 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली परमाणु क्षमता वाली मिसाइल है। यह अग्नि श्रृंखला की सबसे उन्नत मिसाइल है, जो भारत की भूमि-आधारित परमाणु रक्षा प्रणाली की मुख्य ताकत है।
अग्नि-5 मिसाइल 1.5 टन तक का परमाणु हथियार ले जा सकती है
अग्नि-5 मिसाइल 1.5 टन तक का परमाणु हथियार ले जा सकती है और हल्के मिश्रित पदार्थों से बनी है, जो इसे अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाते हैं। यह MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) तकनीक से भी लैस है, जिसका अर्थ है कि एक मिसाइल कई हथियारों से लैस कई लक्ष्यों को भेद सकती है, जिससे इसकी सामरिक शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
अचूक सटीकता के लिए, अग्नि-5 में रिंग लेज़र जाइरोस्कोप-आधारित नेविगेशन सिस्टम (RLG-INS) और माइक्रो-इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (MINGS) का उपयोग किया गया है, जो भारत के NavIC और अमेरिकी GPS जैसे उपग्रह प्रणालियों द्वारा समर्थित है।
RLG-INS (रिंग लेज़र जाइरोस्कोप-आधारित इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम): एक ऐसी प्रणाली जो गति और दिशा का बहुत सटीक रूप से पता लगाने के लिए लेज़र किरणों का उपयोग करती है। अग्नि-5 में, यह मिसाइल को बाहरी संकेतों पर निर्भर हुए बिना सही रास्ते पर बने रहने में मदद करती है।
MINGS (माइक्रो-इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम): एक छोटा, उन्नत नेविगेशन सिस्टम जो गति और स्थिति मापने के लिए सेंसर का उपयोग करता है। अग्नि-5 में, यह उड़ान के दौरान सटीकता के लिए बैकअप और सूक्ष्म समायोजन प्रदान करता है।
नाविक (भारतीय नक्षत्र के साथ नेविगेशन): भारत की अपनी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली। अग्नि-5 में, यह वास्तविक समय की स्थिति का समर्थन करता है, जिससे मिसाइल का लक्ष्य निर्धारण अधिक सटीक हो जाता है और विदेशी प्रणालियों पर कम निर्भर होता है।
अमेरिकी जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम):
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संचालित एक उपग्रह नेविगेशन प्रणाली। अग्नि-5 में, यह सटीकता में सुधार के लिए एक अतिरिक्त संदर्भ के रूप में कार्य करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मिसाइल अपने इच्छित लक्ष्य पर सटीक रूप से प्रहार करे। अग्नि-5 मिसाइल तीन-चरणीय ठोस-ईंधन प्रणाली का उपयोग करती है और इसे एक कनस्तर से प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे इसे संग्रहीत करना, स्थानांतरित करना और शीघ्रता से प्रक्षेपित करना आसान हो जाता है। हाल के वर्षों में, इसमें बेहतर एवियोनिक्स, पुनः प्रवेश के लिए अधिक मज़बूत ताप परिरक्षण और अधिक उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियाँ शामिल हुई हैं।
रणनीतिक संदर्भ और हालिया विकास
अग्नि-5 को 2018 से भारत की सामरिक बल कमान द्वारा परिचालनात्मक रूप से तैनात किया गया है, जो इसे एक विकासात्मक परिसंपत्ति से भारत के परमाणु त्रय के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में परिवर्तित होने का प्रतीक है। डीआरडीओ वर्तमान में अग्नि-5 के उन्नत संस्करण विकसित कर रहा है, जिसमें बंकर-बस्टर और एयरबर्स्ट कॉन्फ़िगरेशन शामिल हैं, जो 2,500-3,000 किलोमीटर की रेंज के साथ 7,500-8,000 किलोग्राम पेलोड ले जाने में सक्षम हैं, जिन्हें विशेष रूप से कठोर सैन्य प्रतिष्ठानों और कमांड सेंटरों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एमआईआरवी तकनीक से लैस अग्नि-5 के मार्च 2024 के सफल परीक्षण ने भारत की कई स्वतंत्र रूप से लक्षित वारहेड तैनात करने की क्षमता का प्रदर्शन किया, जिससे संभावित विरोधियों के खिलाफ मिसाइल का रणनीतिक मूल्य और निवारक प्रभाव काफी बढ़ गया।
परिचालन महत्व और रणनीतिक प्रतिरोध
यह नवीनतम परीक्षण भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के लगभग साढ़े तीन महीने बाद हुआ है, जो भारत की अपनी रणनीतिक निवारक क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अग्नि-5 की कैनिस्टर-आधारित रोड-मोबाइल लॉन्च प्रणाली भारत को बेहतर उत्तरजीविता और तीव्र तैनाती क्षमता प्रदान करती है, जिससे त्वरित पुनर्स्थापन की अनुमति मिलती है और पहले हमले की स्थिति में भेद्यता कम होती है।
दुनिया भर में केवल कुछ ही देशों के पास 5,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली मिसाइलों का परीक्षण करने की क्षमता है, जिससे भारत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं वाले विशिष्ट देशों के समूह में शामिल हो गया है। चीन के सुदूर उत्तरी क्षेत्रों और यूरोप के कुछ हिस्सों सहित लगभग पूरे एशियाई महाद्वीप को कवर करने की इस मिसाइल की क्षमता भारत की रणनीतिक पहुँच का महत्वपूर्ण विस्तार करती है और विश्वसनीय न्यूनतम निवारण की उसकी नीति को मज़बूत बनाती है।