भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और राज्यसभा की मनोनीत सदस्य पीटी उषा ने मंगलवार को राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक को अपना स्पष्ट समर्थन देते हुए कहा कि ये दशकों से चली आ रही स्थिर यथास्थिति को समाप्त करने में सहायक होगा। इसके अलावा देश के खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लएगा। बता दें कि, ये विधेय लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पारित हो गया।
दरअसल, सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित विधेयक पर चर्चा के दौरान उषा ने इसके प्रावधानों की सराहना की। जिसें राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना भी शामिल है। जिसके बाद खेल महासंघों (एनएसएफ) को मान्यता देने का सर्वोच्च अधिकार होगा। केंद्रीय निधि प्राप्त करने के लिए एनएसबी से संबद्धता अनिवार्य होगी।
बता दें कि, विधेयक में खेल विवादों से निपटने के लिए राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण और राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल को राष्ट्रीय खेल महासंघों के चुनावों की निगरानी का भी प्रस्ताव है। एक अन्य मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति के साथ बैठीं उषा ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि, आज का दिन व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण है। मुझे इस पल का लंबे समय से इंतज़ार था।
उन्होंने पिछले साल इस विधेयक का विरोधा किया था और इसे सरकारी हस्तक्षेप बताया था और चेतावनी दी थी कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति से प्रतिबंध का सामन करना पड़ा सकता है। हालांकि, खेल मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद उन्होंने अपने विचार बदल दिए हैं।