अहमदाबाद के चांगोदर में स्थित श्रीमती एन.एम.पाडलिया फार्मेसी कॉलेज में CGMP (Current Good Manufacturing Practice) दिवस पर Academia-Industry Synergy : Advancing Quality through CGMP Awareness” विषय पर एक राष्ट्रिय सेमिनार का आयोजन इस कॉलेज के मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेल की अध्यक्षतामें किया गया। ग्लोबल एग्रोबायोटेक एंड फार्मा रिसर्च फाउंडेशन, जिसके संस्थापक अध्यक्ष मगनभाई पटेल हैं तथा एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल टीचर्स ऑफ इंडिया, जिसके 15,000 से अधिक आजीवन सदस्य हैं एव गुजरात राज्य फार्मेसी काउंसिल के सहयोग से इस सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस सेमिनार का उद्घाटन कॉलेज के मैनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेल के साथ-साथ अन्य गणमान्य लोगोंने किया, जिनमें मुख्य अतिथि ज़िओन ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक डॉ.कृष्णकांत पटेल (B.Pharm,M.Pharm,Ph.D),विशेष अतिथि क्यूबिट लाइफ सायंसिस के सीईओ दिपक अग्रवाल (B.Pharm,M.Pharm),मुख्य वक्ता, इंटास फार्मास्युटिकल्स के वरिष्ठ प्रबंधक महेंद्र जोशी (B.Pharm, M.Pharm) और क्रोनज़ेक्स रेमेडीज़ के प्रबंध निदेशक रमाकांत गुप्ता (B.Pharm, M.Pharm),कॉलेज के प्रिंसिपल,डॉ जितेंद्र भंगाले (B.Pharm, M.Pharm in Pharmacology and Quality Assurance, Ph.D in Pharmaceutical Sciences, MBA in Total Quality Management,Diploma in Intellectual Property Rights Law, FAPS (Fellow in Academy of Plant Sciences, LLB) आयोजन सचिव डॉ.सूरज चौहान (B.Pharm, M.Pharm, Ph.D) और डॉ.नुसरत शेख (B.Pharm, M.Pharm, Ph.D) आदि उपस्थित थे। इस सेमिनार में लगभग 170 छात्रोंने भाग लिया था। इस सेमिनार का उद्देश्य शिक्षा जगत और उद्योग के बीच सहयोग को मज़बूत करना और वर्तमान गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रेक्टिस (CGMP) के बारे में जागरूकता फैलाना था।
इस सेमिनार में कॉलेज के मैनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेलने उद्घाटन सत्र के दौरान अपना प्रेरक और हृदयस्पर्शी भाषण देते हुए कहा कि फार्मेसी के क्षेत्र में ईमानदारी,अनुशासन और गुणवत्ता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता एक सफल पेशेवर यात्रा की आधारशिला है। दवाओं के बारे में जागरूकता, फार्मेसी उत्पादन, व्यापारिक स्टोर,डॉक्टर और उपभोक्ता के बीच संचार का मतलब एक ऐसी प्रणाली जो यह सुनिश्चित करे कि सही कन्टेन्टवाली दवाएं उपभोक्ता को सही कीमत पर उपलब्ध हों और इसके लिए हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदीजी ने देश में जेनेरिक दवाइयों की बिक्री के लिए जन औषधि केंद्र बनाकर, छोटे से छोटे व्यक्ति को भी डॉक्टर के पर्चे के अनुसार उचित मूल्य पर ब्रांडेड कंपनी की दवाइयां मिल सके और इसके लिए कानून बनाकर जो क्रांतिकारी कदम उठाया है वह बहुत ही सराहनीय है। लेकिन आज भी हमारे देश में कई मेडिकल स्टोर्स में योग्य फार्मासिस्ट नहीं होते हैं और अयोग्य फार्मासिस्ट दवा की दुकान में क़्वालीफाइड फार्मासिस्ट का प्रमाणपत्र रखकर दवाइयां बेचते हैं। इस मेडिकल स्टोर में डॉक्टर के पर्चे के अनुसार उपलब्ध ब्रांडेड कंपनी की दवाईया की MRP जेनेरिक दवाइयों की तुलना में लगभग 2 से 5 गुना अधिक होती है,जो डॉक्टरों की अधिक मुनाफा कमाने की मनोवृति दर्शाती है। जेनेरिक दवाओं की लागत कम होती है क्योंकि उन्हें ब्रांडेड दवाओं की तरह महंगे परीक्षणों और अध्ययनों से गुजरना नहीं पड़ता। जब कोई नई दवा बनाई जाती है, तो उसे पेटेंट द्वारा संरक्षित किया जाता है,लेकिन आज देश में कई कंपनियाँ उन महंगे परीक्षणों को दोहराए बिना ही जेनेरिक दवाएँ बनाती हैं। इससे उनका उत्पादन सस्ता हो जाता है, इसलिए वे उन्हें ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 80% से 85% कम कीमत पर बेचती हैं।
आज भारत में जेनेरिक दवाइयां, देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का एक आवश्यक घटक होने के बावजूद, कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं, जिनमें बाजार में घटिया या नकली दवाओं के प्रवेश की कई रिपोर्टें शामिल हैं, जो मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। देशभर में जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और कुशल वितरण नेटवर्क बनाए रखना अति महत्वपूर्ण है। मरीज़ और फार्मासिस्ट कभी-कभी जेनेरिक दवाओं को ब्रांडेड दवाओं की तुलना में निम्न गुणवत्तावाली मानते हैं। ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता की कमी के कारण मरीज उनका उपयोग करने में हिचकिचाते हैं। कुछ ब्रांडेड दवा निर्माता अपनी पेटेंट सुरक्षा बढ़ाने और जेनेरिक दवाओं के बाज़ार में आने में देरी करने के लिए अन्य हथकंडे अपनाने की कोशिश करते हैं। ये पेटेंट विवाद ज़्यादा किफ़ायती जेनेरिक विकल्पों की उपलब्धता में बाधा डालते हैं। जेनेरिक निर्माताओं के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण दवा की कीमत कम हो जाती है। अपने भाषण के अंत में मगनभाई पटेलने कहा कि CGMP (वर्तमान अच्छी विनिर्माण प्रेक्टिस) सेमिनार का असली सार न केवल नियमों का पालन करने में निहित है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति और संगठन में नैतिकता, जिम्मेदारी और निरंतर सुधार की संस्कृति को विकसित करने में निहित है। नैतिक सिद्धांतों और वैज्ञानिक दृढ़ता का पालन करते हुए दवा उद्योग के भविष्य को आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। गुणवत्ता को बनाए रखना न केवल एक पेशेवर जिम्मेदारी है, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति एक नैतिक कर्तव्य भी है।जब अनुशासन और समर्पण, ईमानदारी और नवीनता के साथ मिल जाते हैं, तो स्थायी सफलता और सामाजिक विश्वास पैदा होता है। आज के समय में हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि हम आधुनिक तकनीक को अपनाकर फार्मास्युटिकल क्षेत्र को स्वस्थ बनाएं और अपने सभी प्रयासों में “गुणवत्ता प्रथम” की भावना को बनाए रखें। मैं आज के CGMP (वर्तमान अच्छी विनिर्माण प्रेक्टिस) सेमिनार के लिए आप सभी को बधाई देता हूं और साथ ही साथ सरकार और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से भारत को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में वैश्विक मंच पर लाने के प्रयास के लिए हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदीजी और उनकी टीम को भी बधाई देता हूं।
इस सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ.कृष्णकांत पटेलने “Quality is not an act, it’s a habit: Learning the culture of CGMP” विषय पर अपना उदबोधन दिया था।उन्होंने दवा उद्योग में गुणवत्ता और नवीनता के महत्व पर बल दिया तथा कच्चे माल से लेकर पैकेजिंग और वितरण तक उत्पादन के सभी चरणों में अच्छे विनिर्माण प्रथाओं को लागू करने के महत्व पर भी अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने जीवन में “5D” अर्थात अनुशासन (Discipline),समर्पण (Dedication), दृढ़ संकल्प (Determination),भक्ति (Devotion) और दिशा (Direction) विषय पर विचारोत्तेजक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अनुशासन सभी उपलब्धियों का आधार है।आत्म-नियंत्रण, समय प्रबंधन और दिनचर्या के प्रति प्रतिबद्धता के बिना, सबसे प्रतिभाशाली व्यक्ति भी अपने लक्ष्य तक पहुंचने में असफल हो जाते हैं।वास्तविक प्रगति व्यक्ति के पूर्ण समर्पण से ही आती है।समर्पण साधारण प्रयासों को असाधारण परिणामों में बदल देता है।दृढ़ संकल्प वह भावना है जो व्यक्ति को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का दृढ़ता से सामना करने में सक्षम बनाती है। भक्ति व्यक्ति की आंतरिक शक्ति है जो उसके कार्यों को उद्देश्य से जोड़ती है। भक्ति न केवल आध्यात्मिक है,बल्कि व्यावहारिक भी है-इसका अर्थ है ईमानदारी और लगन के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना।जब काम समर्पण का एक रूप बन जाता है,तो सफलता स्वाभाविक रूप से आती है और संतुष्टि अधिक गहरी और लंबे समय तक टिकती है।कड़ी मेहनत और दृढ़ता तभी मूल्यवान होती है जब उसे स्पष्ट दिशा-ज्ञान के साथ जोड़ दिया जाए। दिशाहीन जीवन, गंतव्यहीन जहाज के समान है, इसलिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करना, व्यवस्थित योजना बनाना और प्रगति का निरंतर मूल्यांकन करना सफलता के लिए आवश्यक है। सफलता रातोंरात नहीं मिलती,इसके लिए जीवन में धैर्य,लगन और सकारात्मक दृष्टिकोण बहुत ज़रूरी है। इसलिए अगर आप हर प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे,तो आपको सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता।
सेमिनार के मुख्य वक्ता दिपक अग्रवालने “Good Manufacturing Practices – The Heartbeat of Quality Medicines” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने CGMP के महत्व और भविष्य में इसके योगदान पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान उत्तम विनिर्माण पद्धति (cGMP) अनुपालन को तकनीकी प्रगति के साथ विकसित किया जाना चाहिए। CGMP केवल नियामक दायित्वों का एक समूह नहीं है, बल्कि एक व्यापक गुणवत्ता संस्कृति है जो दवा उद्योग में नवीनता,अखंडीतता और निरंतर सुधार को बढ़ावा देती है। स्वचालन (Automation),प्रक्रिया विश्लेषणात्मक प्रौद्योगिकी (PAT),कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डिजिटल डेटा प्रबंधन प्रणाली जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियां दवा निर्माण परिदृश्य को बदल रही हैं। इन उपकरणों का एकीकरण प्रक्रिया नियंत्रण को बढ़ाता है, मानवीय त्रुटि को कम करता है, तथा वास्तविक समय निगरानी को समर्थन देता है,जिससे उत्पाद की गुणवत्ता और विनियामक अनुपालन सुनिश्चित होता है। उन्होंने डेटा अखंडता, ट्रेसेबिलिटी और जोखिम-आधारित सत्यापन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणालियां सभी उत्पादन चरणों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने में मदद करती हैं। उन्होंने उत्पादन सुविधाओं में स्मार्ट विनिर्माण प्रथाओं, इलेक्ट्रॉनिक बैच रिकॉर्ड और स्वचालित गुणवत्ता जांच को लागू करने के व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने टिकाऊ विनिर्माण दृष्टिकोण पर भी चर्चा की जो CGMP मानकों को बनाए रखते हुए पर्यावरणीय जिम्मेदारी के अनुरूप है। दवा पेशेवरों की अगली पीढ़ी विज्ञान,प्रौद्योगिकी और नैतिकता में समान रूप से कुशल होनी चाहिए। दिपक अग्रवालने अपने भाषण का समापन प्रतिभागियों को दूरदर्शी सोच अपनाने, निरंतर नवीनता को अपनाने और अनुपालन को गुणवत्ता उत्कृष्टता में बाधा के बजाय एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए किया।
इस सेमिनार के अन्य वक्ता महेंद्रभाई जोशीने अपने वक्तव्य में कहा की वर्तमान उत्तम विनिर्माण पद्धतियाँ (CGMP) दवा निर्माण में गुणवत्ता आश्वासन का आधार बनती हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि उत्पाद का प्रत्येक बैच पहचान,क्षमता, शुद्धता और सुरक्षा के लिए पूर्व निर्धारित मानकों को लगातार पूरा करे। CGMP का अनुपालन केवल एक नियामक आवश्यकता नहीं है, बल्कि एक पेशेवर जिम्मेदारी है जो रोगी की सुरक्षा और उत्पाद उत्कृष्टता के प्रति कंपनी की नैतिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने विनिर्माण वातावरण में cGMP के क्रियान्वयन के व्यावहारिक पहलुओं पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की तथा प्रक्रिया सत्यापन,उपकरण योग्यता,सफाई सत्यापन और दस्तावेज़ीकरण विधियों जैसे क्षेत्रों पर विस्तार से बात की। इसके अतिरिक्त उन्होंने USFDA, MHRA, WHO, EMA और TGA जैसी एजेंसियों से अंतर्राष्ट्रीय विनियामक निरीक्षणों के प्रबंधन में अपने व्यावहारिक अनुभव को प्रस्तुत किया तथा लेखा परीक्षकों की प्रमुख अपेक्षाओं और सफल अनुपालन के लिए आवश्यक तैयारी का विवरण भी दिया। उन्होंने युवा पेशेवरों और छात्रों को वैज्ञानिक सोच विकसित करने, निरंतर सुधार पर ध्यान केंद्रित करने और गुणवत्ता को सटीकता और जिम्मेदारी के साथ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने भाषण का समापन यह कहते हुए किया कि प्रक्रिया उत्कृष्टता और नियामक अनुपालन अलग-अलग लक्ष्य नहीं हैं, बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं – दोनों ही दवा उद्योग में स्थायी सफलता के लिए आवश्यक हैं। इस सेमिनार में अन्य वक्ता के रूप में उपस्थित रमाकांत गुप्ताने दवा उद्योग में CGMP के महत्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी।
इस सेमिनार में कॉलेज के प्राचार्य डॉ.जितेंद्र भंगालेने भी CGMP दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए और महाविद्यालय की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने गणमान्य अतिथियों को महाविद्यालय का भ्रमण कराया और आधुनिक फार्मा उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशाला, पुस्तकालय और विनिर्माण उपकरणों की जानकारी दी।
इस सेमिनार में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए “मौखिक प्रस्तुति” प्रतियोगिता का भी आयोजन किया था। इस प्रतियोगिता में 20 से अधिक विद्यार्थियोंने भाग लिया था जिसमे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। श्वेता तिवारी को प्रथम, दृष्टि पटेल को द्वितीय और यश खलाने को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ था । आयोजन सचिव प्रोफेसर डॉ. सूरज चौहान के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ इस सेमिनार का समापन हुआ।
