हेट स्पीच एक वैश्विक चुनौती है , इंफॉर्मेशन और मीडिया लिटरेसी के व्यापक प्रचार-प्रसार से ही हम इस पर नियंत्रण करने की दिशा में प्रभावी कदम उठा सकते हैं- के जी सुरेश
जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे की ओर से चल रही वेबिनार श्रृंखला के तहत 62वीं वेबिनार 9 अक्टूबर, 2022 को ‘डिजिटल युग में हेट स्पीच’ विषय पर आयोजित की गई। इस परिचर्चा में माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो के जी सुरेश ने अपने वक्तव्य में कहा कि हेट स्पीच एक वैश्विक चुनौती है। उन्होंने कहा इंफॉर्मेशन और मीडिया लिटरेसी के व्यापक प्रचार-प्रसार से ही हम इस पर नियंत्रण करने की दिशा में प्रभावी कदम उठा सकते हैं। एबीपी न्यूज़ के कंसलटेंट विजय विद्रोही ने टेलीविजन डिबेट्स के अंदरूनी अंतर्विरोधों के रोचक उदाहरण देते हुए बताया कि हेट स्पीच को नियंत्रित करने की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? उन्होंने मीडिया कर्मियों के साथ साथ आम दर्शकों से अपील की कि वे स्वयं इस दिशा में आगे आएं
भारतीय जनसंचार संस्थान के जम्मू परिसर के क्षेत्रीय निदेशक प्रो राकेश गोस्वामी ने हेट स्पीच के कानूनी पक्षों का विस्तार से विवेचन करते हुए कहा कि टीआरपी और मुनाफे के इस दौर में हेट स्पीच को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने नए रेविन्यू सिस्टम विकसित को करने की आवश्यकता भी महसूस की। उन्होंने बताया कि विधि आयोग ने 2017 में हेट स्पीच को रोकने के लिए जो प्रारूप बनाया था उस पर अभी भी आधे से अधिक राज्यों ने अपनी राय प्रकट नहीं की है। परिसंवाद का संचालन एवं विषय प्रवर्तन कम्युनिकेशन टुडे के संपादक एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने किया। तकनीकी सहयोग आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ में मीडिया की सहायक प्रोफेसर डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला । भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी राजेंद्र भानावत सहित अनेक वक्ताओं ने चर्चा में सहभागिता की। बांग्लादेश, फिलीपींस सहित भारत के विभिन्न अंचलों से 171 प्रतिभागियों ने इस वेबिनार में अपना पंजीयन कराया। इस शैक्षिक अभियान को आगे बढ़ाने के लिए कृपया हमारे इस चैनल को सब्सक्राइब, लाइक एवं शेयर करें । इस चर्चा को यहां दिए गए लिंक पर अपने समय की सुविधा के अनुरूप आप देख सुन सकते हैं