अभी तक देखा गया कि कैसे इस बार कि मॉनसून से कितने शहर प्रभावित हुए | दिल्ली से लेकर पूरा उत्तर और पश्चिम भारत इसकी गिरफ्त में आया| हर क्षेत्रीय नदियों का जलस्तर अपने खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया| इस बार का मॉनसून बहुत ही कारणों से जुड़ा हुआ है | अगर भारत की राजधानी दिल्ली की बात करें तो भारी बारिश के चलते दिल्ली और उत्तर पश्चिमी भारत में यमुना नदी का पानी का स्तर अभी तक का सबसे ऊपर 208.65 मीटर तक पहुंचा| दिल्ली के बहुत से क्षेत्रीय जैसे कश्मीरी गेट आईटीओ सिविल लाइन राजघाट सभी बारिश के पानी में डूब चुके थे|
इसका सबसे प्रमुख कारण बना हरियाणा में इस बार सामान्य रूप से होने वाली बारिश 3 गुना ज्यादा पड़ी (सामान्य बारिश 39 मिलीमीटर और जो जुलाई में बारिश हुई वह 117 मीटर)|
जिसके कारण हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज के पानी को छोड़ना पड़ा जो कि दिल्ली में आकर यमुना के यमुना का पानी का स्तर बढ़ाने लगा|
दूसरा प्रमुख कारण यमुना नदी के दूसरी तरफ 2009 से 480 सेक्टर की जमीन नए निर्माणों के उपयोग में ले ली गई जिसके चलते अतिरिक्त पानी का अवशोषण करने के लिए कोई जमीन बाकी नहीं रहे|
तीसरा कारण रहा जल निकासी व्यवस्था जो कि ऐसा बनाया ही नहीं गया जिसे यह अतिरिकत पानी निकला जा सके इसलिए काई सारी जगह में पानी भरने के कारण लोगों को बेहद परेशानियां झेलनी पड़ी 7000 से ज्यादा लोगों को टैंटों में शरण लेनी पड़ी एक भारी बारिश ने दिल्ली के आधारभूत संरचना की सच्चाई दिखा दी|
एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या इस तरह का मानसून आगे भी भारत को भविष्य में देखने को मिलेगा ?
पिछले कुछ सालों से विनाशकारी बाढ़ की घटनाओं के कारण वर्षा का अत्यंत तीव्र दौर चल रहा है|
हालांकि बहुत सारे कारक हैं उनके कारण वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति बन चुकी है कि, मौसमी घटनाओं में प्रमुख भूमिका जलवायु परिवर्तन निभा रहा है|
यह विशेष रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह एक आधुनिक मौसम प्रणाली है जिसके कारण उपमहाद्वीप में नियमित बारिश होती है|
भारत के लिए मानसून इतना जरूरी क्यों है?
मॉनसून देश की 3 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की जीवनधारा है,जो कि लगभग 70% बारिश जिसकी भारत को जरूरत है और जो कि खेतों और जलाशयों को पूर्ण भरने के लिए काम आती है|
भारत के कृषि क्षेत्र की किस्मत मॉनसून पर बहुत अधिक निर्भर करती है|उचित रूप से वितरित वर्षा, रोपण और कटाई जैसी सारी योजना उनके आसपास की बनाई जाती है|
इसलिए मॉनसून मैं कोई भी भारी बदलाव भारत की अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की आजीविका पर बहुत बुरा असर डाल सकता है|
पिछले ही साल अनियमित वर्षा होने पर यह स्पष्ट हुआ था, कि मॉनसून ने खरीफ की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया था और उसी कारण देश को अपने स्टॉप पर निर्भर रहना पड़ा था|
पूर्वानुमानकर्ताओं को इस बदलते जलवायु का निरीक्षण कर भारत देश को संकेत देना चाहिए कि,भविष्य में कभी ऐसी परिस्थिति बने तो भारत अपना आधारभूत संरचना उतना मजबूत बना ले |