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अखण्ड भारत के पहले प्रधानमंत्री थे नेताजी सुभाषचंद्र बोस : चन्द्र कुमार बोस

 

भारतीय शिक्षण मण्डल दिल्ली प्रान्त के युवा आयाम द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गतपराक्रम दिवस मनाने के उद्देश्य से आयोजित एक कार्यक्रम में नेताजी के पारिवारिक सदस्य श्री चन्द्र कुमार बोस ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस अखण्ड भारत के पहले प्रधानमंत्री थे | बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए श्री बोस ने कहा कि नेताजी पूरी उम्र भारत माता को आजाद कराने के लिए प्रयासरत रहे | नेताजी ने अच्छी नौकरी को ठुकराकर भारत को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया | नेताजी के द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रभाव एवं कर्तव्य भाव को आज के युवा पीढ़ी को सीखने की आवश्यकता है | नेताजी का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाईयों से कभी भी घबराये नहीं एवं अपने लक्ष्य की तरफ अडिग रहें | उन्होंने आगे कहा कि नेताजी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक जन-आन्दोलन खड़ा करने मेंप्रमुख भूमिका निभाई | उन्होंने जन-जन में राष्ट्र बोध के भाव को विकसित करने के साथ ही भारतीय जनमानस में सर्वधर्म भाव विकसित करने में का कार्य भी किया | उनकी फ़ौज में शामिल ६० हजार सैनिकों का धर्म राष्ट्रधर्म से जुड़ा था | नेताजी ने अखण्ड भारत की संकल्पना के साथ निरन्तर प्रयास किया | श्री बोस ने मंच के माध्यम से भारत सरकार से आग्रह किया कि नेताजी के मौत के रहस्य से पर्दा उठना चाहिए |बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो० श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि जब राष्ट्र नायक की बात हो तो उसके जन्म या मृत्यु की तिथि पर संशय नहीं होना चाहिए |उन्होंने राष्ट्र की खातिर बलिदान देने वाले नायकों से सम्बन्धित ऐतिहासिक दस्तावेजों में दबे तथ्यों को सामने लाने का आह्वान किया जिसे अबतक छुपाया गया है | प्रो० सिंह ने कहा कि जिससे राष्ट्र का पोषण होता हो, वह सत्य उद्घाटित होना चाहिए |नेताजी ने राष्ट्रबोध का नारा आज भी हमें प्रेरित करता है | नेताजी ने आजाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों में राष्ट्र बोध की भावना विकसित कर उन्हें राष्ट्र के प्रति समर्पण के लिए प्रेरित करने का कार्य किया जिसने आजाद भारत के सपने को साकार करने में अहम योगदान दिया | प्रो० सिंह ने नेताजी के व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डाला |ई-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो० बलराम पाणी ने कहा कि नेताजी बचपन से ही सेवा भाव एवं राष्ट्र भाव को सर्वोपरी मानते थे | देश से बड़ा कोई नहीं है, यह भाव आज के युवा पीढ़ी को समझना होगा | पराधीनता से स्वाधीन भारत की नींव | आज नेताजी से जुड़े तथ्यों को पुनः संकलित करने एवं उनके लेखन की आवश्यकता है |इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मण्डल के दिल्ली प्रान्त अध्यक्ष प्रो० रवि टेकचन्दानी ने विषय प्रवर्तन रखते हुए कहा कि वर्तमान कालखण्ड युवाओं का है जो भारत के पराक्रम एवं बौद्धिक सम्पदा का द्योतक है | वर्तमान सरकार ने पराक्रम के बोध को अंकुरित करने का कार्य किया है | नेताजी द्वारा गठित आजाद हिन्द सरकार के संकल्पों को साकार करने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने ३० दिसम्बर को ध्वजारोहण कर एक सन्देश प्रेषित करने का कार्य किया | नेताजी के ध्येय, संकल्प, एवं त्याग से हमें बहुत कुछ सीखने की जरुरत है |आभाषी मंच ज़ूम पर संचालित ई-गोष्ठी का संचालन डॉ० मिथिलेश पाण्डेय एवं श्री आकाश उपाध्याय ने जबकि अतिथियों का स्वागत प्रो० रंजन कुमार त्रिपाठी ने किया |डॉ० मिथिलेश पाण्डेय ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने का कार्य किया | ई-गोष्ठी का आरम्भ आशुतोष कुमार द्वारा ध्येय श्लोक एवंश्री अतुल कुमार द्वाराध्येय वाक्य प्रस्तुत करने के साथ हुआ |ई-गोष्ठी में प्रान्त मन्त्री डॉ० सुरेश गोहे, प्रान्त संगठन मन्त्री श्री गणपति टेटे, डॉ० गजराज सिंह, एवं डॉ० उपेन्द्र प्रमुख रूप से उपस्थित रहे |अन्त में श्री अजीत पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत कल्याण मंत्र के साथ गोष्ठी समाप्त हुई |

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