‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ विषय पर वेबीनार आयोजित
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के संदर्भ में जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे की ओर से रविवार 26 फरवरी, 2023 को 73वां वेबीनार ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान’ (Global Science for Global Wellbeing
) विषय पर आयोजित किया गया।
वेबिनार को संबोधित करते हुए ‘साइंसटून’ विधा के प्रवर्तक लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो प्रदीप श्रीवास्तव ने कार्टूंस के माध्यम से विज्ञान से जुड़े मुद्दों पर जन जागरूकता के विभिन्न संदर्भों को बहुत ही रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया। उन्होंने दुनिया में समाप्त हो रहे जंगलों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इससे न सिर्फ पक्षियों के घर बर्बाद हो रहे हैं वरन ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी बढ़ती जा रही है। उनका मानना था पर्यावरण के बारे में हमारा ज्ञान बहुत ही अल्प है जबकि आदिवासी समाज अपने पर्यावरण को गहराई से समझने की क्षमता रखता है।
प्लाज्मा विज्ञान के विशेषज्ञ आईआईटी जोधपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रामप्रकाश ने आने वाले 2 दशकों में स्वास्थ्य ,भोजन, ऊर्जा व कृषि के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों में प्लाज्मा विज्ञान की भूमिका को विस्तार से स्पष्ट किया । प्लाज्मा के क्षेत्र में दुनियाभर में हो रही शोध किस तरह मानव कल्याण के लिए उपयोगी होगी उसकी बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी उन्होंने देते हुए बताया कि हम पृथ्वी पर ही अब एक सूर्य को निर्मित करने की कल्पना कर रहे हैं । उनका मानना था कि 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 9•6 मिलीयन हो जाएगी। इस विशाल जनसंख्या की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी अत्यंत उपयोगी होगी। विज्ञान जैसे जटिल विषय को बहुत ही सरल व सहज ढंग से उन्होंने प्रस्तुत किया।
पाक्षिक ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ के संपादक एवं प्रमुख विज्ञान संचारक श्री तरुण कुमार जैन ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से वैज्ञानिक चेतना के विकास में दिए गए योगदान की विस्तार से चर्चा की । उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने विज्ञान से जुड़े समाचारों को सरल सुबोध ढंग से प्रस्तुत करते हुए आम जनमानस में विज्ञान की खबरों के प्रति रुचि विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने जानकारी दी 1 वर्ष तक डीएसटी के एक प्रोजेक्ट के तहत पाक्षिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को 1 वर्ष तक दैनिक रूप से भी प्रकाशित किया गया । राजस्थान के स्कूलों में शुरू किए गए विज्ञान क्लबों तथा युवा वैज्ञानिकों को तैयार करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को भी उन्होंने रेखांकित किया।
कम्युनिकेशन टुडे के संपादक तथा राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने वेबिनार का संचालन किया। उन्होंने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि विज्ञान दिवस बनाने की मूल प्रेरणा यही है कि किस तरह से हम तकनीक के क्षेत्र में हो रहे व्यापक परिवर्तनों को मानव कल्याण के लिए सकारात्मक ढंग से उपयोगी बना सकते हैं। देश की विभिन्न प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में हो रहे शोध अनुसंधान को हमें धरातल पर आम आदमी तक पहुंचा कर हमें उसे विज्ञान जैसे जटिल विषयों को समझने के लिए प्रेरित करना होगा ,तभी हम अपने वास्तविक उद्देश्य में सफल हो सकेंगे।
वेबिनार का तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी, मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला। वेबिनार के लिए देश के विभिन्न अंचलों से 210 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया।
चर्चा में भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी श्री राजेंद्र भाणावत , मिजोरम यूनिवर्सिटी की जनसंचार की शोधार्थी सुश्री चित्रा अग्रवाल, पूना के वरिष्ठ मीडिया शिक्षक डॉ संजय ताम्बेट तथा लखीमपुर की मीडिया शिक्षक डॉ स्वाति पांडे ने चर्चा में हस्तक्षेप कर महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।