मीडिया शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मीडिया एजुकेशन को और समृद्ध बनाने की आवश्यकता है: डॉ दुर्गेश त्रिपाठी
बाल कृष्ण मिश्र
नई दिल्ली,11 जून 2022 : मीडिया शिक्षा व मानवीय मूल्यों के संदर्भ में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रासंगिकता को समझने के उद्देश्य से टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज के पत्रकारिता एवम जनसंचार विभाग द्वारा शनिवार को 36 वी एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन “नेशनल एजुकेशन पालिसी : ह्यूमन वैल्यूज एंड मीडिया एजुकेशन” विषय पर किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ दुर्गेश त्रिपाठी ( मूक्स कोऑर्डिनेटर एवं असोसिएट प्रो, गुरु गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी), विशिष्ट अतिथि श्री अखिलेश आनंद (सीनियर एंकर , एवीपी न्यूज़ ), सुश्री अंशिका पाठक ( सीनियर एंकर, न्यूज़ इंडिया) एवं डॉ संजय सिंह बघेल (प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ), टेक्निया समूह के अध्यक्ष डॉ राम कैलाश गुप्ता, संस्थान निदेशक डॉ अजय कुमार, डॉ एम एन झा ( डीन एकेडेमिक्स, टायस ) व राष्ट्रीय सगोष्ठी के संयोजक डॉ गोपाल ठाकुर द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया ।
मुख्य अतिथि डॉ दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि मीडिया शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मीडिया एजुकेशन को और समृद्ध बनाने की आवश्यकता है। इसकी मदद से न सिर्फ पत्रकारिता एवं जनसंचार शिक्षा के पाठ्यक्रम में सुधार होगा, बल्कि मीडिया इंडस्ट्री की जरुरतों के अनुसार पत्रकार भी तैयार किये जा सकेंगे । आजकल दुनिया-भर के एजुकेशनल सिस्टम में भी हम क्रांतिकारी बदलाव देख सकते हैं क्योंकि देश-दुनिया में 24x7 इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध रहने के कारण अब ऑनलाइन एजुकेशन को पूरे विश्व में पसंद और प्रोत्साहित किया जा रहा है और स्टूडेंट्स के लिए तो यह ऑनलाइन एजुकेशन एक वरदान ही साबित हुई है. दरअसल पूरी दुनिया में स्टूडेंट्स को “सोसाइटी एंड मीडिया ” जैसे कई ऑनलाइन एजुकेशनल कोर्सेज ‘फ्री ऑफ़ कॉस्ट’ करवाए जा रहे हैं जिनको करने के बाद विद्यार्थी सफलता प्राप्त कर रहे हैं |
संस्थान निदेशक डॉ अजय कुमार ने संगोष्ठी के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए यहां आयोजित की जाने वाली समस्त गतिविधियों से परिचय कराते हुए कहा कि, शिक्षा व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए बहुत आवश्यक है | इसलिए ये जरुरी है कि शिक्षा की गुणवक्ता बनाये रखने के लिए वक्त के साथ शिक्षा नीति में भी बदलाव किया जाता रहे |
विशिष्ट अतिथि श्री अखिलेश आनंद ने कहा कि भारत में अब तक संस्थान केंद्रित शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया जाता था, लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने ‘सब पढ़ें और सब बढ़ें’ का रास्ता हमें दिखाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षकों को नए प्रयोगों के लिए अवसर मिल रहा है। इसलिए ये हमारा दायित्व है कि हम अपने विद्यार्थियों को इस तरह तैयार करें, कि वे चुनौतियों को अवसर में बदल पाएं। न्यूज़ इंडिया की सीनियर एंकर सुश्री अंशिका पाठक ने कहा कि, पहले की शिक्षा नीतियां पूरे भारत में लागू नहीं होती थीं। यही एकमात्र शिक्षा नीति है जो पूरे भारत में सभी स्तरों पर लागू है। प्रोफ़ेसर डॉ संजय सिंह बघेल ने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का दृष्टिकोण वैश्विक है, लेकिन उसकी जड़ें भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं। हम विश्व समुदाय के अंग हैं, इसलिए हमारी शिक्षा नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे भारतीय संस्थान विश्व के सबसे अच्छे शिक्षण संस्थानों में गिने जाएं। उन्होंने कहा कि मीडिया शिक्षा के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। संस्थानों ने कई वर्षों से अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव नहीं किया है। इसलिए मीडिया शिक्षण संस्थानों को वर्तमान समय की जरुरतों के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण करना चाहिए | डॉ एम एन झा ( डीन एकेडेमिक्स , टायस ) ने ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि, शिक्षा नीति में बदलाव 34 बाद हुआ है | इससे पहले 1968 और 1986 के बाद ये तीसरी बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है | यह शिक्षा नीति पूर्णरूपेण सकारात्मक और विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करने वाला है |
विभिन्न संस्थानों से आये हुए शिक्षक ,विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया | इस मौके पर जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष (द्वितीय सत्र ) डॉ विपुल प्रताप , डॉ शिवेंदु राय ( विभागाध्यक्ष, प्रथम सत्र ), डॉ गोपाल ठाकुर ( संगोष्ठी के संयोजक ), डॉ रजनेश पांडेय ( संगोष्ठी के सह-संयोजक ), डॉ शील निधि त्रिपाठी , डॉ केशव पटेल, डॉ शाहीन बानो, डॉ जागृति बसेरा, मयंक अरोड़ा, रितिका चौधरी, प्रियंका सिंह, प्रेस एंड मीडिया क्लब के बालकृष्ण मिश्र, कर्ण सिंह व छात्र -छात्राएं मौजूद रहे |