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अग्निवीरों की अग्नि !

राहुल मित्तल --- (फाउंडर, ईशान आर्ट्स एंड प्रोडक्शन)

 

अग्निपथ योजना सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है जिससे युवाओं को रोजगार के साथ साथ नई दिशा भी मिलेगी। सेना में ट्रेनिंग लेना अग्नि की राह पर चलने के समान है और उस पर चलने वाला कोई वीर ही हो सकता है। युवाओं में जोश एवं उत्साह की अग्नि भी होती है, और साथ में युवा शरीर में ताकत और उन्माद। इसलिए इन युवाओं को अग्निवीर का नाम दिया गया है। परंतु इस योजना की कुछ खामियों की वजह से इस योजना का पूरे देश में विरोध हो रहा है। जिसके चलते युवा कुछ राजनैतिक दलों के बहकावे में आकर पब्लिक प्रापर्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आगजनी व तोड़फोड़ कर रहे हैं, ट्रेनों व बसों को रोक कर आम जनजीवन अस्त व्यस्त कर रहे हैं। ये वो युवा नहीं है जिन्हें सेना में भर्ती होना है। विरोध ¬प्रदर्शन करने वाले अधिकतर लोग राजनैतिक दलों के बहकावे में आए हुए युवा हैं। यदि बाद में सर्विलांस द्वारा पता चला कि इन गैर कानूनी हरकतों में शामिल युवाओं के विरूद्ध केस दर्ज हो जाएंगे और भविष्य में उन्हें कोई नौकरी नहीं मिलेगी तो वे युवा जो विरोध प्रदर्शन में हिंसा में संलिप्त है वे इससे स्वतः ही दूर हो जाएंगे।

कुछ राजनैतिक दलों को इस बात की चिंता भी है कि आने वाले कुछ सालों में उनका जनाधार कम हो जाएगा या फिर उनकी पार्टी का नामोनिशान भी मिट सकता है। छात्र राजनीति पर निर्भर रहने वाले राजनैतिक दल मुश्किल में आ जाएंगे। उन्हें वो भटके हुए एवं बेरोजगार छात्र नहीं मिलेंगे जिन्हें वे बहकाकर अपनी सत्ता की रोटी सेक पाएंगे। छात्रों की सोच का भी ध्रुवीकरण हो जाएगा और व उन लोगों की बातों में नहीं आएंगे और अपना भविष्य उनके हाथों में नहीं सौंपेंगे। उनकी सोच सेना में काम करने के बाद देश और समाज को जोड़ने वाली होगी न कि तोड़ने वाली।

इस योजना में सेना भर्ती में चयनित सभी अभ्यर्थियों को चार साल के लिए नौकरी मिलेगी और 25 प्रतिशत् युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी के 75 प्रतिशत् युवाओं को नौकरी छोड़नी पडे़गी। युवाओं का गुस्सा इस बात पर है कि 75 प्रतिशत् युवा सेना की नौकरी छूटने के बाद क्या करेंगे। उन्हें नौकरी कौन देगा। और उनके भविष्य का क्या होगा। इसमें घबराने की बात नहीं है। उनके लिए उचित अवसर मुहैया हो जाएंगे। कुछ राज्य सरकारों ने अभी से घोषणा कर दी है कि उनके राज्यों की पुलिस भर्ती में अग्निवीरों को वरीयता दी जाएगी। जिनमें मध्यदेश, असम और मणिपुर राज्य सरकारों ने कहा है कि पुलिस भर्ती में इन एक्ससर्विस मैनों को वरीयता मिलेगी।

इसके साथ-साथ इन लोगों को सुरक्षा एजेंसियों, टैरिटोरियल आर्मी, सीआईएसएफ, रैपिड एक्शन फोर्स, कमांडो भर्ती, एनएसजी जैसी जगहों पर नौकरी में वरीयता मिल सकती है। और इसके साथ ही जहां पर भी एक्स सर्विसमैन को वरीयता मिलती है वहां पर भी यह अपनी जगह बना सकते हैं। अभी तीन राज्य सरकारों ने अपने यहां नौकरियों में वरीयता देने की घोषणा की है पर धीरे धीरे सभी राज्य सरकारें अपने यहां नौकरियों में वरीयता देने की घोषणा कर देंगी।

यहां युवाओं को सही दिशा देने की जरूरत है न कि उन्हें भड़काने या बहकाने की। युवाओं को भी समझना होगा कि चार सालों में उन्हें जितनी सैलरी उन्हें चार साल में मिलेगी (लगभग 12 लाख) उतनी उन्हें कहीं भी नहीं मिलेगी। यदि कोई भी युवा साढ़े सत्रह साल में सेना में भर्ती हो जाता है तब 30 हजार की सैलरी उसे मिलेगी जिसमें से रूपये 9000 उसकी सेवा निधि में जाएंगे और इतने ही सरकार अपनी ओर से निधि में जमा करेगी। जो तीस हजार उसे साढ़े सत्रह साल में मिलेंगे वह कहीं भी नहीं पा सकेगा क्योंकि इस उम्र में वह ज्यादा से ज्यादा 12वीं पास होगा और कोई भी व्यावसायिक डिग्री उसके पास नहीं होगी। 21 साल में वह एक्स सर्विसमैन बन जाएगा और वह कोई भी व्यावसायिक डिग्री पा सकेगा और किसी भी तरह की नौकरी पा सकेगा। और चार साल बाद उसके सेवा निधि खाते में लगभग 11.71 लाख रूपये होंगे। वह इनसे कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकेगा। जो भी सुविधाएं सेना के लोगों को मिलती हैं वह उन्हें भी आजीवन मिल सकती हैं। और सैलरी के 12 लाख भी मिलेंगे।

दक्षिण पश्चिम कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह भिंडर अग्निपथ योजना को युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर बतायार है. आईएएनएस के मुताबिक उन्होंने कहा कि सेना उम्मीदवारों को उनकी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर कौशल प्रदान करेगी. चार साल बाद जहां 25 फीसदी उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर सेना में शामिल किया जाएगा. वहीं शेष 75 फीसदी जो समाज में वापस जाएंगे, उन्हें कौशल प्रमाण पत्र दिया जाएगा, ताकि उन्हें अपने कौशल के आधार पर सरकारी या निजी नौकरी मिल सके.’ इससे भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका है परंतु इसे अभी नजरअंदाज किया जा सकता है। और बाद में इससे निपटने के तरीके भी सुझाए जा सकते हैं।

युवाओं का विरोध इस पर भी है कि सिर्फ चार साल के लिए ही सेना में भर्ती क्यों की जा रही है। यह कुछ हद तक सही भी है परंतु सेना में काम करने के बाद उनमें जो अनुशासन आएगा उससे उनकी जिंदगी सुधर जाएगी। उनकी सोच देश के लिए होगी न कि देश के विरूद्ध। वह देश के हित में काम कर सकेगा। वह स्वार्थ से ऊपर उठ चुका होगा और फिर देश एवं समाज के लिए अच्छा कार्य कर सकेगा। शोध के अनुसार सैन्य सेवा, बिना युद्ध के भी, व्यक्तित्व को बदल सकती है सेना में कार्य करने के बाद व्यक्ति में भारत और भारतीय संविधान, सेना, अपनी यूनिट और अन्य सैनिकों के प्रति सच्चा विश्वास और निष्ठा की भावना के साथ कर्तव्य, अपने दायित्वों को पूरा करने की भावना, आदर, निःस्वार्थ सेवा, सम्मान, अखंडता की भावना और व्यक्तिगत साहस आ जाता है। और इतनी खूबियों के साथ कोई भी व्यक्ति कभी असफल नहीें हो सकता।

ज्ञातव्य है कि जो भी व्यक्ति एक बार सैनिक बन जाता है वह पूरी जिंदगी सैनिक की तरह जीता है। यह डर न केवल भारत में रह रहे समाज के दुश्मनों को सता रहा है कि जब देश में इतने सैनिक हो जाएंगे तब उनकी देश विरोधी मुहिम धराशायी हो जाएंगी। बल्कि यह डर दुश्मन देशों को भी सता रहा है। यह सैनिक आतंकवादियों के स्लीपर सैल्स की तरह काम करेंगे। जब भी देश को जरूरत होगी ये सभी सैनिक भारतीय सेना बन कर उनके विरूद्ध कार्य करेंगे। जब भी वह अपने आतंक वादी भेजेंगे उन्हें नहीं पता होगा कि कौन लोग सेना से हैं और कौन नहीं। उनकी भारत में बिल्कुल नहीं चलेगी। इसी वजह से वे इस विरोध में अग्निपथ योजना का विरोध करने वालों का साथ देंगे और अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे कि यह योजना लागू न हो सके।

सेना में काम करने की अनिवार्यता केवल भारत में ही नहीं शुरू होने जा रही है वरन् दुनिया के और भी कई देशों में यह अनिवार्यता है। दुनिया के 28 देशों में यह अनिवार्य है कि युवाओं को अपनी जिंदगी के कुछ साल देश सेवा के लिए देने होंगे यानि कि सेना में काम करना अनिवार्य है। आर्मेनिया, ऑस्ट्रिया, आजरबैजान, बेलारूस, बरमूडा, ब्राजील, म्यांमार, साइप्रस, डेनमार्क, मिस्र, फिनलैंड, यूनान, ईरान, इजराइल, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, मोरक्को, नॉर्वे, रूस, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, ताइवान, थाईलैंड, ट्यूनीशिया, टर्की, यूक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में सेना में कुछ वर्ष देना अनिवार्य है। किसी किसी देश में पुरूष व महिला दोनों को सेना में काम करना अनिवार्य है।

अग्निपथ योजना से भ्रष्टाचार मेें भारी कमी आएगी और इमानदारी बढ़ेगी जिससे भारत की गिनती भी इमानदार देशों में होने लगेगी। इस समय भारत का नाम 180 देशों पर किये गए शोध में इमानदार देशों की सूची में 85वें स्थान पर है। डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, इमानदार देशों की सूची के पहले सात पायदानों पर काबिज हैं। एशिया में सिंगापुर पहले, संयुक्त अरब अमीरात चैथे, ताइवान छठे, दक्षिण कोरिया आठवें और इजराइल दसवें स्थान पर है। भारत एशिया में 21वें स्थान पर है। अग्निपथ योजना के लागू होने से भारत की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।

 

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